वक्फ संशोधन बिल पर 12 घंटे तक चर्चा हुई। पहले स्पीकर ने आठ घंटे का समय तय किया था लेकिन ‘सदन की भावना के अनुरूप’ उसे बढ़ाया गया और अंत में रात 12 बजे के करीब बिल पास हुआ। दिन भर की चर्चा में एनडीए की ओर से भाजपा के अलावा उसकी सभी सहयोगी पार्टियों के नेता बोले। सबसे बड़ी सहयोगी टीडीपी, दूसरी बड़ी सहयोगी जनता दल यू, तीसरी बड़ी सहयोगी शिव सेना, चौथी लोजपा और फिर रालोद से लेकर अपना दल और एनसीपी तक सभी पार्टियों के नेताओं ने भाषण दिया। सबने बिल का समर्थन किया और बाद में सबने बिल के पक्ष में मतदान किया।
लेकिन नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यू को छोड़ कर बाकी किसी पार्टी ने बिल लाने के लिए सरकार की तारीफ नहीं की और न विपक्ष के ऊपर हमला बोला। सबने बिल के कंटेंट पर भाषण दिया। अकेले जनता दल यू के सांसद और केंद्रीय राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने बिल्कुल भाजपा नेता के अंदाज में भाषण दिया।
ललन सिंह ने वक्फ संशोधन बिल लाने के लिए सरकार की तारीफ की। उन्होंने बिल पेश करने वाले अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री किरेन रिजिजू को धन्यवाद दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करने के लिए विपक्षी पार्टियों की जम कर आलोचना की। ललन सिंह ने वक्फ बोर्ड पर दिए लालू प्रसाद के एक पुराने बयान का हवाला देकर उन पर अलग से हमला किया। उनसे उलट बिहार की ही भाजपा की सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी ने बिल का समर्थन किया परंतु बिल पेश करने के लिए सरकार की तारीफ नहीं की और न विपक्ष पर हमला किया। लोजपा की ओर से पार्टी सुप्रीमो चिराग पासवान नहीं बोले। उनके बहनोई और जमुई से पार्टी के सांसद अरुण भारती ने भाषण दिया।
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भाजपा की सबसे बड़ी सहयोगी तेलुगू देशम पार्टी, टीडीपी ने तो बिल का समर्थन करते हुए सरकार को नसीहत दी। सरकार की तारीफ करने और विपक्ष पर हमला करने की बजाय टीडीपी सांसद कृष्णा प्रसाद तेन्नेटी ने सरकार को नसीहत देते हुए कहा कि बिल पास होने के बाद सरकार जब इस कानून को लागू करने के नियम बनाए तो उसमें राज्यों को वक्फ बोर्ड की संरचना तय करने की स्वतंत्रता दी जानी चाहिए।
इसका मतलब है कि उन्होंने संघवाद का मुद्दा उठाया और राज्यों की भूमिका बढ़ाने की बात कही। टीडीपी सांसद ने उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार मुस्लिम महिलाओं, युवाओं और समाज के वंचित तबके के हित को ध्यान में रखते हुए राज्यों को वक्फ बोर्ड की संरचना तय करने की आजादी देगी। उन्होंने कहा कि इससे टीडीपी की समावेशी विकास और समुदायों के कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता दिखेगी। साफ है कि टीडीपी ने गठबंधन धर्म निभाया लेकिन अल्पसंख्यक समुदाय के हितों की रक्षा की अपनी प्रतिबद्धता भी संसद में जाहिर कर दी।
इसके उलट जदयू के सांसद ललन सिंह पूरी तरह से भाजपा के रंग में रंगे दिखे। उन्होंने जिस तरह से भाजपा की लाइन पर भाषण दिया उससे बिहार में इस साल होने वाले चुनाव में जनता दल यू के भाजपा की बी टीम बनने की संभावना दिखने लगी है। ध्यान रहे नीतीश कुमार की जैसी मानसिक दशा में उसमें ललन सिंह ही उनकी सबसे बड़ी ताकत हैं और अगर वे भाजपा की लाइन पर चलने लगें तो जदयू का भगवान की मालिक है।
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