उत्तर प्रदेश की राजनीति दिलचस्प होती जा रही है। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच अभी पूरा सद्भाव दिख रहा है और दोनों पार्टियों के बीच विधानसभा की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए सीट बंटवारे पर चर्चा भी हो रही है। लेकिन समाजवादी पार्टी के नेता चाहते हैं कि कांग्रेस चुपचाप उसकी बात माने। पार्टी की ओर से जितनी सीटें दी जा रही हैं उतनी लेकर चुनाव लड़े। दूसरी ओर कांग्रेस को लग रहा है कि उत्तर प्रदेश में सपा की जीत में उसका बड़ा योगदान है क्योंकि उसकी वजह से मुस्लिम और दलित वोट गठबंधन को मिले हैं इसलिए वह अब ज्यादा हिस्सेदारी मांग रही है। माना जा रहा है कि हरियाणा में अगर कांग्रेस जीतती है और जम्मू कश्मीर में उसका प्रदर्शन अच्छा रहता है तो मुस्लिम और दलित वोट पर उसकी दावेदारी और बढ़ेगी।
उधर समाजवादी पार्टी फैजाबाद की सामान्य सीट से अपने दलित उम्मीदवार अवधेश प्रसाद की जीत से अलग उत्साह में है। तभी उपचुनाव की 10 सीटों का बंटवारा अटका है। सपा चाहती है कि कांग्रेस एक या दो सीट पर लड़े। लेकिन कांग्रेस बराबर सीट चाहती है या कम से कम चार सीटों पर लड़ना चाहती है। दिल्ली से सटी गाजियाबाद की सीट पर कोई विवाद नहीं है। लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मीरापुर सीट के साथ साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश में फूलपुर और मझवां की सीट को लेकर दोनों पार्टियों में खींचतान चल रही है। दो राज्यों के चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस के मोलभाव करने की क्षमता बढ़ सकती है।