बिहार के बाद उत्तर प्रदेश की बारी है। बिहार में भाजपा ने अपने कोटे के मंत्री बनवा लिए हैं। प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने एक व्यक्ति, एक पद के सिद्धांत के आधार पर मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इस बीच खबर है कि उत्तर प्रदेश में भी योगी आदित्यनाथ सरकार में फेरबदल होने वाली है। जानकार सूत्रों का कहना है कि महाकुंभ की वजह से फेरबदल रूकी थी। महाकुंभ खत्म होने के बाद एक हफ्ते से 10 दिन के भीतर मंत्रिमंडल में फेरबदल हो सकती है। हालांकि अभी तक इस बात की चर्चा शुरू नहीं हुई है कि किसको हटाया जाएगा और कौन नया विधायक मंत्री बनेगा। लेकिन लखनऊ में इस बात की चर्चा शुरू हो गई है। कहा जा रहा है कि कुछ मंत्रियों पर भ्रष्टाचार कि शिकायत मिली है उनकी छुट्टी हो सकती है और साथ ही कुछ युवा चेहरों को मौका मिल सकता है।
यह भी कहा जा रहा है कि इस बार फेरबदल में 75 साल पूरे कर चुके या उसके आसपास की उम्र के कुछ मंत्रियों को आराम दिया जा सकता है। जानकार सूत्रों के मुताबिक योगी आदित्यनाथ की सरकार में पश्चिमी उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा। इसका कारण यह बताया जा रहा है कि जाट समाज से और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आने वाले प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी की जगह कोई ब्राह्मण अध्यक्ष बन सकता है। बहरहाल, इस बार की फेरबदल को इस नजरिए से भी देखा जाना है कि फैसला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने स्तर पर करते हैं या दिल्ली से मंजूरी लेनी होती है। माना जा रहा है कि महाकुंभ के सफल आयोजन के बाद उनकी हैसियत बढ़ी है और वे स्वतंत्र फैसले करेंगे।