कांग्रेस पार्टी ने भारत राष्ट्र समिति के प्रमुख और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की नींद उड़ाई है। असल में कर्नाटक विधानसभा के चुनाव नतीजों के बाद भाजपा और बीआरएस दोनों की चिंता बढ़ी है। कर्नाटक का सबसे ज्यादा असर तेलंगाना पर होता दिख रहा है। कांग्रेस में जान लौट आई है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रेवंत रेड्डी के ऊपर कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार का हाथ है। उधर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी की बहन वाईएस शर्मिला की वाईएसआर तेलंगाना पार्टी के साथ कांग्रेस की तालमेल की बात हो रही है। सो, कांग्रेस को लेकर अचानक उत्सुकता बढ़ गई है। बीआरएस छोड़ कर जो नेता भाजपा में जाना चाहते थे वे कांग्रेस में शामिल होने लगे हैं। इससे बीआरएस के साथ साथ भाजपा की भी चिंता बढ़ी है, जिस पर पिछले दिनों भाजपा नेताओं ने माथापच्ची की है।
बीआरएस के नेता और खम्मम के पूर्व सांसद पी श्रीनिवास रेड्डी और राज्य सरकार के पूर्व मंत्री जे कृष्णा राव पहले भाजपा में जाने वाले थे लेकिन वे कांग्रेस में चले गए। तेलंगाना के 35 नेताओं के साथ ये दोनों नेता कांग्रेस में शामिल हुए। कांग्रेस के सर्वोच्च नेता राहुल गांधी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने दिल्ली मे इनका स्वागत किया। कुछ समय पहले भाजपा में शामिल हुए एटेला राजेंदर और के राजगोपाल रेड्डी ने इन नेताओं को भाजपा में लाने का वादा किया था। अब भाजपा के नेता अपने इन दोनों नेताओं से नाराज हैं।
बहरहाल, कांग्रेस मुख्य विपक्षी पार्टी के तौर पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है और दूसरी ओर बीआरएस के खिलाफ 10 साल का सत्ता विरोधी माहौल है। भाजपा इस स्थिति का फायदा उठाना चाहती थे लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि तेलंगाना में कांग्रेस को रोकने के लिए और लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के लिए भाजपा को बीआरएस की जरूरत महसूस हो रही है। इसलिए दोनों में अंदरखाने कुछ सहमति बनने की चर्चा है। चंद्रशेखर राव तेलंगाना का बदला महाराष्ट्र में लेने के लिए वहां जी जान से मेहनत कर रहे हैं। उसका फायदा भाजपा को मिल सकता है।