Monday

31-03-2025 Vol 19

जमानत पर भी केजरीवाल की कहानी

पिछले तीन चार दिन से राजनीति में दिलचस्पी रखने वाला हर आदमी यह गुत्थी सुलझाने में लगा है कि आखिर अरविंद केजरीवाल को चुनाव प्रचार के लिए जमानत क्यों मिली? यह सवाल इसलिए है क्योंकि जेल में रह कर जो नेता खुद चुनाव लड़ते हैं उनको भी प्रचार के लिए जमानत नहीं मिलती है। ऊपर से प्रवर्तन निदेशाल यानी ईडी ने उनकी जमानत का पुरजोर विरोध किया। सर्वोच्च अदालत की यह दयानतदारी हैरान करने वाली है। भाजपा के नेता हैरान परेशान हैं तो दूसरी ओर आम आदमी पार्टी के नेताओं ने इसे नए तरह से पेश करना शुरू किया है। उनका कहना है कि आखिरकार केजरीवाल के आगे सरकार झुकी और उनको छोड़ना पड़ा। यह कमाल की बात है क्योंकि मीडिया के जरिए इसकी खूब रिपोर्टिंग हुई है कि अदालत ने केजरीवाल को जमानत दी है, जबकि सरकार की ओर से इसका जबरदस्त विरोध हुआ। इसके बावजूद केजरीवाल और उनकी पार्टी यह बताने में लगे हैं कि सरकार को मजबूर होकर उनको छोड़ना पड़ा।

दूसरी ओर इसी बहाने उनके इस्तीफा नहीं देने को भी जस्टिफाई किया जा रहा है। आम आदमी पार्टी की ओर से सोशल मीडिया में यह अभियान चल रहा है और दूसरी ओर आम आमदाताओं के बीच भी केजरीवाल की पार्टी यह बात लेकर जा रही है कि उन्होंने जेल में जाने के बाद इस्तीफा नहीं दिया इसलिए जमानत मिली है। उनका कहना है कि अगर इस्तीफा दे दिया होता और दूसरा कोई व्यक्ति मुख्यमंत्री बन जाता तो केजरीवाल बहुत दिन तक बाहर नहीं आ पाते और चुनाव प्रचार तो नहीं ही कर पाते। ध्यान रहे दिल्ली के मतदाताओं का एक वर्ग ऐसा भी है, जो केजरीवाल को पसंद करता है लेकिन शराब नीति घोटाले में गिरफ्तार होकर जेल जाने के बाद इस्तीफा नहीं देने से निराश है। इस्तीफा नहीं देने के फैसले को उसके सामने एक रणनीति के तौर पर पेश किया जा रहा है। इस रणनीति के ही एक पार्ट के तौर पर कहा जा रहा है कि लोग जेल का जवाब वोट से दें। जैसे आप समर्थकों के दबाव बनाने का नतीजा यह हुआ कि केजरीवाल को जमानत मिल गई वैसे ही अगर वे आम आदमी पार्टी को जिताते हैं तो केजरीवाल की रिहाई भी हो सकती है।

जमानत पर रिहाई का तीसरा नैरेटिव जो आम आदमी पार्टी बना रही है वह ये है कि अब केजरीवाल बाहर आ गए हैं तो सबको उनकी सरकार की योजनाओं का लाभ मिलता रहेगा और जल्दी ही महिलाओं को एक हजार रुपए हर महीने देने की योजना भी शुरू हो जाएगी। हालांकि हकीकत यह है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक केजरीवाल अंतरिम जमानत की अवधि में यानी एक जून तक कोई भी सरकारी कामकाज नहीं कर पाएंगे। यानी ने कैबिनेट की बैठक करके बजट में की गई घोषणा को लागू करने की पहल नहीं कर सकते हैं। लेकिन झुग्गी बस्तियों में और निम्न मध्यवर्ग की कॉलोनियों में केजरीवाल की पार्टी की ओर से ऐसा प्रचार चल रहा है, जैसे जेल से बाहर आने के बाद केजरीवाल कुछ बड़ा फैसला करने वाला हैं। यह धारणा भी बनाई जा रही है कि अगर ज्यादा समय जेल में रहे तो योजनाएं रूक सकती हैं।

NI Political Desk

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