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28-02-2025 Vol 19

राष्ट्रपति पर टिप्पणी में सावधानी जरूरी

पता नहीं कांग्रेस पार्टी के नेता क्यों नहीं इस बात को समझते हैं कि देश में अस्मिता की राजनीति अपने चरम पर है और राष्ट्रपति भी उसी राजनीति का एक प्रतीक हैं। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी खुद दिन भर पिछड़ा, दलित, आदिवासी करते रहते हैं लेकिन देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति के प्रति उनकी पार्टी का रवैया बहुत सम्मान का नहीं रहता है। कांग्रेस के नेता अक्सर इस मामले में मात खा जाते हैं। उनको यह भी नहीं दिखता है कि उन्होंने एक दलित नेता को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया है तो भाजपा के शीर्ष नेता उनके प्रति कोई भी बयान देने में कितनी सावधानी बरतते हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे के मन में जो आता है वह बोलते हैं लेकिन भाजपा की ओर से उन पर निजी टिप्पणी नहीं की जाती है।

भाजपा को पता है कि भले कांग्रेस को ज्यादा लोग पसंद नहीं करते हैं और खड़गे का कोई अखिल भारतीय आधार नहीं हैं लेकिन उनके ऊपर निजी टिप्पणी से दलित समुदाय में नुकसान हो सकता है। यही बात कांग्रेस को समझ में नहीं आती है। पिछली लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी थे तो उन्होंने भी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के प्रति अपमानजनक टिप्पणी की थी। अब बजट सत्र में अभिभाषण के बाद सोनिया गांधी ने राष्ट्रपति को ‘पुअर थिंग’ यानी बेचारी कह दिया। बाद में प्रियंका गांधी वाड्रा ने सफाई दी और कहा कि राष्ट्रपति के लिए सोनिया गांधी के मन में बहुत सम्मान है। सम्मान है तो टिप्पणी करने लिए शब्दों का चयन सोच समझ कर करना चाहिए। राहुल गांधी ने भी राष्ट्रपति के भाषण को बोरिंग कहा। कांग्रेस नेताओं को राष्ट्रपति की बजाय सरकार के लिखे अभिभाषण को निशाना बनाया चाहिए था लेकिन किसी न किसी तरह से उनके निशाने पर राष्ट्रपति आ गईं।

NI Political Desk

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