कांग्रेस पार्टी का अधिवेशन आठ और नौ अप्रैल को गुजरात के अहमदाबाद में होगा। साढ़े तीन महीने में कांग्रेस का दूसरा अधिवेशन हो रहा है। इससे पहले पिछले साल 26 दिसंबर को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का अधिवेशन कर्नाटक के बेलगावी में हुआ था। वह ऐतिहासिक मौका था। ठीक एक सौ साल पहले महात्मा गांधी के बेलगावी में ही कांग्रेस अध्यक्ष बने थे। वे एक ही साल कांग्रेस अध्यक्ष रहे। उस ऐतिहासिक मौके की याद में कांग्रेस ने अधिवेशन किया। उसके अगले दिन कांग्रेस की एक बड़ी रैली भी होने वाली थी लेकिन 26 दिसंबर की रात को ही मनमोहन सिंह का निधन हो गया, जिससे आगे के सारे कार्यक्रम रद्द कर दिए गए। हालांकि बाद में बेलगावी में रैली हुई पर पता नहीं किस कारण से राहुल गांधी उसमें शामिल नहीं हुए।
बहरहाल, बेलगावी के अधिवेशन के करीब साढ़े तीन महीने बाद कांग्रेस का फिर से अधिवेशन हो रहा है। पिछला अधिवेशन वहां हुआ, जहां पार्टी सरकार में है। लेकिन इस बार अधिवेशन ऐसी जगह हो रहा है, जहां कांग्रेस मुख्य विपक्षी पार्टी भी नहीं बन पाई। लेकिन इसका अलग महत्व है। कांग्रेस ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी के हारने के बाद अपने अधिवेशन के लिए गुजरात का चयन किया है। गौरतलब है कि वहां आम आदमी पार्टी ने ही 13 फीसदी वोट काट कर कांग्रेस का भट्ठा बैठाया। वहां कांग्रेस यह मैसेज देने जा रही है कि आप अब खत्म हो गई है और कांग्रेस ही भाजपा से लड़ने वाली मुख्य ताकत है।
इस मैसेज के अलावा कांग्रेस के अधिवेशन को लेकर यह सवाल भी है कि बेलगावी में उसने जो लक्ष्य तय किए थे या जो एजेंडा तय किया था उसका क्या हुआ? बेलगावी में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि 2025 का साल संगठन का साल होगा। तो क्या कांग्रेस ने संगठन का काम पूरा कर लिया? कांग्रेस का अहमदाबाद अधिवेशन जब होगा तब तक इस साल की पहली तिमाही बीत चुकी होगी। तभी कांग्रेस को उससे पहले संगठन का काम पूरा करना चाहिए। अभी तक कांग्रेस ने जो किया है वह कॉस्मेटिक सर्जरी की तरह है।