विदेश मंत्री एस जयशंकर यह कह कर पाकिस्तान गए थे कि वे दोपक्षीय वार्ता करने या संबंध सुधार की बात करने नहीं जा रहे हैं। उनकी यात्रा का एकमात्र मकसद शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ की बैठक है। उन्होंने इसी लाइन पर दो दिन की यात्रा पूरी की। लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस यात्रा से दोनों देशों के बीच बर्फ पिघली है। दोनों देशों के रिश्तों पर पिछले नौ साल से बर्फ जमी थी। लेकिन विदेश मंत्री का जिस तरह से पाकिस्तान में इस्तकबाल किया गया और उनके स्वागत में जैसे गाने बजाए गए और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ जैसे उनसे मिले। उन सबका असर सकारात्मक दिखा।
जयशंकर ने अपने कहे मुताबिक दोपक्षीय वार्ता नहीं की लेकिन दोपक्षीय मुलाकात जरूर हुई। खबर है कि पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री मोहम्मद इशहाक डार के साथ जयशंकर की दो बार मुलाकात हुई। दोनों बार मुलाकात अनौपचारिक ही थी लेकिन कई मसलों पर बातचीत होने की खबर है। यहां तक कहा जा रहा है कि किसी स्तर पर दोनों देशों के बीच क्रिकेट मुकाबले शुरू कराने पर भी बात हुई। हालांकि जयशंकर ने एससीओ की बैठक के पहले दिन ही कह दिया था कि आतंकवाद और व्यापार दोनों साथ नहीं चल सकते हैं। फिर भी दोनों देशों के बीच औपचारिक संबंध बहाली की दिशा में कुछ काम हो सकता है। अगर पाकिस्तान युद्धविराम संधि का पालन करता है तो अगले कुछ दिनों में कुछ बदलाव देखने को मिल सकता है।