देश में नियंत्रक व महालेखापरीक्षक, सीएजी यानी कैग नाम की एक संस्था है यह बात लोग भूल चुके हैं। लोग यह भी ध्यान नहीं रखते हैं कि 2014 में भाजपा की जीत में नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के बराबर हाथ उस समय के कैग विनोद राय द्वारा खोले गए कथित 2जी और कोयला घोटाले का भी था। तब सबकी जुबान पर कैग का नाम था। पिछले नौ साल से कैग का नाम लोग भूल चुके हैं क्योंकि उसकी कोई रिपोर्ट नहीं आती है और आती भी है तो उसमें सरकार पर सवाल उठाने वाली कोई बात नहीं होती है। लेकिन अगले साल के चुनाव से पहले अचानक कैग की सक्रियता दिखने लगी है और संसद के मानसून सत्र में एक के बाद एक उसकी दो रिपोर्ट आई है, जिससे अलग अलग दो विभागों में घोटालों का पर्दाफाश हुआ है।
कैग की एक रिपोर्ट आठ अगस्त को संसद में पेश हुई, जिसमें उसने रिपोर्ट दी है कि प्रधानमंत्री जन आरोग्य यानी पीएमजय योजना में घोटाला हुआ है। इस रिपोर्ट के मुताबिक साढ़े सात लाख से ज्यादा लाभार्थियों का एक ही मोबाइल नंबर दर्ज है। यह सितंबर 2018 से मार्च 2021 की रिपोर्ट है। इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 43 हजार से ज्यादा परिवार ऐसे दर्ज हैं, जिनके सदस्यों की संख्या 11 से 201 तक है। यानी एक परिवार में दो सौ से ज्यादा सदस्यों के नाम दर्ज हैं।
इस रिपोर्ट के बाद एक दूसरी रिपोर्ट पेश आई है, जिसमें इससे भी ज्यादा बड़े घोटालों की खबर है। इसमें बताया गया है कि ग्रामीण विकास मंत्रालय की एक योजना नेशनल सोशल असिस्टेंस प्रोग्राम है, जिसके तहत वृद्धावस्था पेंशन भी है, उसके फंड से पैसा निकाल कर विज्ञापन पर खर्च कर दिया गया है। यह भी 2017-18 से 2020-21 की रिपोर्ट है। हैरानी की बात है कि विपक्ष की ओर से इन घोटालों की रिपोर्ट को तरजीह नहीं दी जा रही है। भले इनमें कम पैसे का घोटाला हुआ है लेकिन चुनावी साल में सरकार के दो मंत्रालयों का घोटाला सामने आना मामूली बात नहीं है। ध्यान रहे देश के सीएजी गिरीश मुर्मू हैं, जो गुजरात काडर के अधिकारी हैं।