दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी सरकार के विज्ञापनों को लेकर विपक्ष के और खास कर कांग्रेस के निशाने पर हैं। पिछले दिनों वे राजस्थान के गंगानगर में रैली करने गए थे तब उन्होंने राज्य की कांग्रेस सरकार पर चारों तरफ होर्डिंग, पोस्टर लगाने का आरोप लगाया था। उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को निशाना बनाते हुए कहा था कि अगर उन्होंने काम किया होता तो इतना प्रचार करने की जरूरत नहीं थी। कांग्रेस नेताओं ने तब अरविंद केजरीवाल को निशाना बनाते हुए कहा था कि इससे बड़ी विडंबना नहीं हो सकती है कि, जो नेता सबसे ज्यादा खर्च विज्ञापन पर करता है वह दूसरी पार्टी के ऊपर ज्यादा विज्ञापन करने का आरोप लगा रहा है।
कांग्रेस के इन आरोपों की अब पुष्टि हो गई है और वह भी दिल्ली के उप राज्यपाल की ओर से जारी आंकड़ों के जरिए। उप राज्यपाल विनय सक्सेना ने चार पन्नों की चिट्ठी लिखी है, जिसमें कांग्रेस की मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित के कामकाज की तारीफ की गई। स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में उनके किए कामों का उन्होंने जिक्र किया है। इसके साथ ही उन्होंने दोनों सरकारों के विज्ञापन का आंकड़ा भी दिया है। उन्होंने लिखा है है कि 2009-10 से 2013-14 के बीच शीला दीक्षित की सरकार में विज्ञापन के ऊपर 4.80 लाख रुपए रोजाना का का खर्च था, जबकि 2015 के बाद, जबसे अरविंद केजरीवाल की सरकार बनी है, उनकी सरकार का विज्ञापन पर रोजाना का खर्च 1.2 करोड़ रुपए है। यानी शीला दीक्षित की सरकार मुकाबले केजरीवाल की सरकार विज्ञापन पर 40 गुना ज्यादा खर्च करती है। पहले दिल्ली सरकार के विज्ञापन देश भर के अखबारों में छपते थे और अब दिल्ली व पंजाब सरकार दोनों के विज्ञापन देश भर में छपते और दिखते हैं।