जब देश में कहीं चुनाव हो रहे होते हैं तभी चुनाव आयोग की चर्चा सुनाई देती है। जब चुनाव नहीं होते हैं तो आमतौर पर चुनाव आयोग के बारे में चर्चा नहीं होती है। नेता तो निर्वाचन सदन की ओर का रुख ही नहीं करते हैं। लेकिन दिलचस्प बात है कि अभी कहीं चुनाव नहीं हैं और पार्टियों के नेता निर्वाचन सदन की ओर दौड़ लगा रहे हैं। मंगलवार को तीन बड़ी पार्टियों के नेता अपनी अपनी शिकायत लेकर चुनाव आयोग के पास गए। उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार से मुलाकात की। इससे अलग चुनाव आयोग ने सभी पार्टियों के नेताओं को 30 अप्रैल तक चुनाव आयोग से मिलने और अपनी समस्याएं बताने का मौका भी दिया है।
बहरहाल, विपक्षी पार्टियों के साथ साथ भारतीय जनता पार्टी के नेता भी चुनाव आयोग पहुंचे थे। वे पश्चिम बंगाल में 13 लाख कथित फर्जी मतदाताओं की शिकायत लेकर आयोग के पास गए थे। हालांकि आयोग ने प्रदेश में भी मुख्य चुनाव अधिकारी और जिला चुनाव अधिकारी और मतदाता सूची का काम देखने वाले अधिकारी को निर्देश दिया है कि वे पार्टियों के नेताओं से मिलें और उनकी शिकायतों को दूर करें। लेकिन ऐसा लग रहा है कि नेता लोग सीधे मुख्य चुनाव आयुक्त से ही शिकायत करने में दिलचस्पी रखते हैं। वैसे भी अभी संसद का सत्र चल रहा है तो दिल्ली में चुनाव आय़ोग से मिलने पर खबर बनती है। तभी तृणमूल कांग्रेस के नेता भी चुनाव आयोग पहुंचे और डुप्लीकेट मतदाता पहचान पत्र की शिकायत की। हालांकि चुनाव आयोग ने पहले ही तीन महीने में इसे निपटाने का ऐलान कर दिया है। इनके अलावा बीजू जनता दल के नेता भी चुनाव आयोग गए। उन्होंने मतदान के आंकड़ों में मिसमैच की शिकायत की और सभी वीवीपैट पर्चियों के ईवीएम से मिलान की मांग की।