जनगणना का मामला कहां अटका हुआ है किसी को पता नहीं चल रहा है। पिछले एक साल से ज्यादा समय से कहा सुना जा रहा है कि जल्दी ही जनगणना की अधिसूचना जारी होगी। जनगणना 2021 में होनी थी, जिसकी तैयारियां शुरू हो गई थीं। लेकिन 2020 के मार्च में कोरोना महामारी की वजह से देश भर में लॉकडाउन के साथ ही इसे टाल दिया गया। तब से सारे कामकाज सुचारू रूप से हो रहे हैं लेकिन जनगणना नहीं हुई। विपक्षी पार्टियों के साथ साथ अब संसद की एक स्थायी समिति ने भी जल्दी से जल्दी जनगणना कराने को कहा है। हालांकि इस बारे में फैसला सरकार को करना है और वह कई चीजों को ध्यान में रख कर फैसला करेगी।
गौरतलब है कि जनगणना कराने का काम केंद्रीय गृह मंत्रालय का है, जिसके मंत्री अमित शाह हैं। गृह मंत्रालय की संसदीय समिति ने ही अपनी रिपोर्ट में जल्दी से जल्दी जनगणना कराने को कहा है। इस कमेटी के अध्यक्ष भाजपा के सांसद राधामोहन दास हैं। उन्होंने जनगणना जल्दी कराने के साथ साथ रोहिंग्या, बांग्लादेशी अवैध प्रवासियों की पहचान करके उनको देश से निकालने को भी कहा। गृह मामलों की संसदीय समिति ने 10 मार्च को अपनी रिपोर्ट दी है। सवाल है कि क्या भाजपा सांसद की अध्यक्षता और एनडीए के बहुमत वाली समिति ने ईमानदारी से जनगणना की जरुरत मानते हुए रिपोर्ट दी है या इसके पीछे भी कोई राजनीति है? जानकार सूत्रों का कहना है कि सरकार अभी तत्काल जनगणना कराने के मूड में नहीं है। अगले साल परिसीमन की तैयारी हो रही है। उससे पहले जनगणना जरूरी है। लेकिन संविधान का 84वां संशोधन इसके रास्ते में बाधा है। सरकार उस बाधा को दूर करने के उपायों पर विचार कर रही है।