Wednesday

23-04-2025 Vol 19

अपना एजेंडा लेकर जाएंगे केजरीवाल

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपना एजेंडा लेकर विपक्षी पार्टियों की बैठक में शामिल होने जा रहे हैं। कांग्रेस के राजनीतिक स्टैंड को समझने के बावजूद वे के चंद्रशेखर राव की तरह दूरी नहीं बना रहे हैं तो इसका कारण यह है कि उनके पास एक मुद्दा है। वे केंद्र सरकार की ओर से जारी अध्यादेश के मुद्दे पर विपक्ष को एकजुट करने और संसद के उच्च सदन यानी राज्यसभा में बिल को पास होने से रोकने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। कांग्रेस के अलावा देश की बाकी जितनी पार्टियों के नेताओं से केजरीवाल मिले हैं, सबने अध्यादेश के मामले में उनका साथ देने का वादा किया है। दूसरी ओर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने केजरीवाल को मिलने तक का समय नहीं दिया है।

कांग्रेस के इस रुख से परेशान केजरीवाल उस पर दबाव बनाने के लिए कहा है कि कांग्रेस को 23 जून की बैठक में इस मसले पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। अपने इस एकसूत्री एजेंडे के साथ केजरीवाल 23 जून की बैठक में हिस्सा लेने पटना जा रहे हैं। वे कांग्रेस पर दबाव बनाएंगे कि वह अध्यादेश के मामले में अपना रुख स्पष्ट करे। दूसरी ओर कांग्रेस का कहना है कि सही समय पर इस बारे में वह अपनी राय जाहिर करेगी। ध्यान रहे अभी अध्यादेश के विरोध में कोई बयान देने से कुछ नहीं होने वाला है। अध्यादेश को लागू कर दिया गया है और संसद के मॉनसून सत्र में सरकार इसे कानून बनाने के लिए विधेयक के तौर पर पेश करेगी। जो कुछ होना है वह उसी समय होगा। संसद सत्र में ही विपक्ष इस अध्यादेश को रोकने की कोशिश कर सकता है। उससे पहले इस मामले में कुछ नहीं हो सकता है।

कांग्रेस के एक जानकार नेता का कहना है कि अगर केजरीवाल ने पटना की बैठक में इस पर जोर दिया तो पार्टी इस पूरे मामले को एक्सपोज करेगी। वह दूसरी पार्टियों को भी बताएगी कि दिल्ली के यूनिक स्टैटस की वजह से इस तरह का अध्यादेश लाया गया है और देश के दूसरे किसी राज्य में इस तरह का अध्यादेश नहीं आ सकता है। ध्यान रहे केजरीवाल सभी राज्यों को यह भय दिखा रहे हैं कि उनके यहां भी इस तरह का अध्यादेश आ सकता है। कांग्रेस उनको इस मामले में एक्सपोज कर रही है। ध्यान रहे दिल्ली में पहले कभी अधिकारियों की नियुक्ति और तबादले की अधिकार दिल्ली सरकार के हाथ में नहीं रहा है। सचिवों और मुख्य सचिव की नियुक्ति केंद्र सरकार ही करती रही है।

कांग्रेस के नेता दूसरी पार्टियों को बता रहे हैं कि उनके सामने ज्यादा बड़ी समस्याएं हैं। दिल्ली के अध्यादेश का मामला उतना बड़ा नहीं है, जितना तमिलनाडु से लेकर बिहार, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र के नेताओं के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई है। केजरीवाल इन सबसे ऊपर अध्यादेश के मसले को रखना चाहते हैं। ज्यादातर पार्टियों उनको इस मसले पर समर्थन दे चुकी हैं इसलिए पटना की बैठक में यह ज्यादा बड़ा मुद्दा नहीं बन पाएगा।

NI Political Desk

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