india politics : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए कांग्रेस पर हमला किया और कहा कि, “अगर कोई सचमुच कूटनीति में बहुत रूचि रखता है तो उसको ‘जेएफकेज फॉरगॉटेन क्राइसेस’ पढ़नी चाहिए।
इसमें भारत के एक प्रधानमंत्री, जो विदेश नीति भी देखते थे, उनके बारे में लिखा है कि, जब देश चुनौतियों में था, तब विदेश नीति के नाम पर क्या खेल हो रहा था”।
असल में यह किताब अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के एक अधिकारी ब्रूस रीडेल ने लिखी थी, जिसमें चीन युद्ध के समय देश के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की ओर से अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी को लिखी चिट्टियों के हवाले बहुत सारी बातें लिखी गई हैं।
इस किताब का पूरा शीर्षक, ‘जेएफकेज फॉरगॉटेन क्राइसिसःतिब्बत, द सीआईए एंड द साइनो इंडियन वार’ है।(india politics)
also read: ‘वर्षा’, ‘सागर’ और टोटका
रक्षा पर फोकस उतना नहीं था(india politics)
प्रधानमंत्री ने खेल के बारे में कहा लेकिन असल में इस किताब में नेहरू की उन चिट्ठियों का हवाला दिया गया है, जो उन्होंने राष्ट्रपति कैनेडी को मदद के लिए लिखी थी।(india politics)
यह किसी से छिपी बात नहीं है कि नेहरू ने सपने में भी नहीं सोचा था कि चीन हमला करेगा। दूसरे, आजादी के बाद नेहरू का फोकस का एरिया शिक्षा, स्वास्थ्य, रिसर्च, स्पेस सहित देश के लोगों का पेट भरने पर था।
रक्षा पर फोकस उतना नहीं था। इसलिए भारत की रक्षा तैयारियां कमजोर थीं। तभी जब 1962 में चीन ने हमला किया तो भारत के सैनिक मरने लगे और चीन तेजी से भारत की जमीन कब्जा करने लगे।
तब नेहरू ने अमेरिकी राष्ट्रपति से मदद मांगी थी। नेहरू ने अपनी चिट्ठियों में लिखा था कि अमेरिका को चीन के खिलाफ युद्ध में भारत का साथ देना चाहिए और भारत को अपनी वायु सेना की मदद देनी चाहिए। उन्होंने अमेरिका से लड़ाकू विमान मांगे थे।
नेहरू ने सुपरसोनिक फाइटर प्लेन देने को कहा था। इसके अलावा उस किताब में क्या है? नेहरू ने मदद मांगी थी, अमेरिका नहीं दी क्योंकि कुछ दिन पहले ही अमेरिका ने कोरिया युद्ध में चीन के खिलाफ युद्धविराम किया था।(india politics)
वास्तव में दुनिया भर के देश संकट के समय दूसरे देशों से मदद मांगते रहे हैं। पिछले साल अगस्त में खबर आई थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से फोन पर बात की थी और बांग्लादेश में हिंदुओं पर रहे अत्याचार को रूकवाने में अमेरिका से मदद मांगी थी।