दक्षिण भारत के राज्यों में चुनाव प्रक्रिया संपन्न होने के बाद अब भाजपा के नेताओं को खास कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दक्षिण भारत की आलोचना करने में कोई दिक्कत नहीं हो रही है। उत्तर भारत में वोट गोलबंद करने या कोई भावनात्मक आवेग पैदा करने के लिए वे खुल कर इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। उनको ओडिशा के चुनाव प्रचार में नवीन पटनायक के करीबी सहयोगी वीके पांडियन को निशाना बनाना था उनको दक्षिण भारत का मुद्दा लाने में कोई दिक्कत नहीं हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भगवान जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार की चाबी दक्षिण के राज्य में चली गई। पता नहीं चाबी कहां है लेकिन चूंकि पांडियन तमिलनाडु के हैं और मोदी को उन पर हमला करना था इसलिए उन्होंने कह दिया कि रत्न भंडार की चाबी दक्षि के राज्य में चली गई। उन्होंने पांडियन की दक्षिण भारतीय पहचान को उभार कर ओडिया अस्मिता का मुद्दा उठाया है।
इसी तरह उत्तर प्रदेश के जौनपुर की एक सभा में प्रधानमंत्री ने दक्षिण भारत के सभी राज्यों को निशाना बनाया और कहा कि उत्तर भारत के जो लोग मजदूरी करने दक्षिण भारत जाते हैं उनका वहां अपमान किया जाता है। प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस दक्षिण भारत की पार्टियों से उत्तर भारतीयों का अपमान कराती है और सनातन का भी अपमान कराती है। सोचें, जब उन राज्यों में चुनाव चल रहा था तब प्रधानमंत्री उनके बारे में कैसी बड़ी बड़ी बातें करते थे। तब एक बार उन्होंने नहीं कहा कि इन राज्यों में उत्तर भारत से आने वालों का अपमान होता है। ध्यान रहे दक्षिण भारत के सभी राज्य औद्योगिक रूप से काफी विकसित हैं और उत्तर भारत के लाखों लोगों को वहां रोजगार मिला हुआ है। दक्षिण का आईटी हब उत्तर भारत के पेशेवर चला रहे हैं और वहां से हजारों करोड़ रुपए उत्तर भारत के राज्यों में आता है। लेकिन प्रधानमंत्री किसी बहाने उत्तर और दक्षिण के विभाजन में लगे हैं।