तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा बुरी तरह से फंस गई हैं। उनके ऊपर शिकंजा कस गया है और जल्दी ही उनकी मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। उनके फंसने और मुश्किल बढ़ने के दो कारण बहुत स्पष्ट हैं। पहला, उन्होंने कॉरपोरेट के साथ पंगा किया। वह ऐसे कॉरपोरेट के साथ, जो सरकार की तरह शक्तिशाली है और जिसके लिए अनेक नेता, जन प्रतिनिधि, अधिकारी आदि अपनी जान दांव पर लगा सकते हैं। दूसरा कारण यह है कि उनके बेहद करीबी रहे व्यक्ति ने विश्वासघात किया है। एक पुरानी कहावत है कि राज की बात अपने दोस्त को भी नहीं बतानी चाहिए क्योंकि वह कभी भी दुश्मन हो सकता है। महुआ मोइत्रा के राजदार रहे जय अनंत देहद्रई दुश्मन हो गए हैं।
बताया जा रहा है कि वकील जय अनंत देहद्रई किसी समय महुआ मोइत्रा के पार्टनर थे। एक कहानी यह है कि महुआ मोइत्रा के पालतू कुत्ते हेनरी को लेकर भी दोनों के बीच विवाद हुआ था और मामला थाने तक पहुंचा था। कहा जा रहा है कि महुआ कोलकाता या दिल्ली से बाहर जाती थीं तो हेनरी जय अनंत के घर छोड़ जाती थीं। बाद में जब दोनों में विवाद हुआ तो उन्होंने कुत्ता लौटाने से इनकार कर दिया था। महुआ मोइत्रा थाने गईं और वहां से आखिरकार उनका हेनरी उनका वापस मिला। अब उन्हीं जय अनंत देहद्रई ने 38 पन्नों का एक दस्तावेज तैयार किया है, जिसमें इस बात की जानकारी दी गई है कि हीरानंदानी समूह के दिनेश हीरानंदानी के कहने पर महुआ ने लोकसभा में सवाल पूछे। यहां तक कहा गया है कि महुआ को सांसद के नाते लोकसभा के पोर्टल का जो एक्सेस मिला हुआ है वह एक्सेस उन्होंने हिरानंदानी समूह को भी दिया था ताकि वे सीधे सवाल उस पर अपलोड कर सकें।
महुआ के पार्टनर रहे जय अनंत देहद्रई ने बहुत विस्तार से सारी बातें बताई हैं। उन्होंने सवालों के लिंक साझा किए हैं। दिनेश हीरानंदानी और गौतम अडानी के कारोबारी विवाद के बारे में बताया है। इसे जोड़ते हुए कहा कि हीरानंदानी समूह के कहने पर महुआ ने गौतम अडानी को टारगेट किया। हालांकि हारीनंदानी समूह ने इसका खंडन किया है। वकील जय अनंत ने महुआ को महंगे उपहार और नकद पैसे मिलने की बात बताई है। हो सकता है कि इसमें कुछ चीजें बढ़ा-चढ़ा कर बताई गई हों लेकिन कुछ चीजें सही हो सकती हैं। कुछ गलतियां अनजाने में हुई हो सकती हैं लेकिन उस 38 पन्नों के दस्तावेज के आधार पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने महुआ को कठघरे में खड़ा कर दिया है।
उनकी मुश्किल यह है कि बड़े कारोबारी और भारतीय जनता पार्टी के साथ साथ केंद्र सरकार भी उनके पीछे पड़ गई है। आईटी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने ट्विट करके कहा है कि मार्च 2022 में उनको कुछ पत्रकारों ने बताया था कि एक डाटा सेंटर कंपनी की ओर संसद में सवाल पूछा जाएगा। उनका इशारा भी महुआ मोइत्रा की ओर था, जिन्होंने डाटा लोकलाइजेशन को लेकर बाद में सवाल पूछा। मंत्री का कहना है कि पत्रकारों की ओर से बताए गए सवाल और सांसद के सवाल की भाषा एक जैसी थी। हालांकि इस पर सांसद महुआ मोइत्रा की बहुत मजबूत सफाई है। उन्होंने कहा है कि वे आईटी की संसदीय समिति की सदस्य थीं और वे चाहती हैं कि डाटा को लोकल ही स्टोर किया जाए। बहरहाल, उनके ऊपर विशेषाधिकार का मामला तो बनेगा ही सीबीआई और ईडी का मामला भी बनने की पूरी संभावना है।