शायद ही किसी को इस बात पर यकीन होगा कि महाराष्ट्र की महायुति सरकार के मंत्री और ओबीसी समुदाय के सबसे बड़े नेताओं में से एक छगन भुजबल ने शरद पवार से मराठा और ओबीसी आरक्षण पर बात करने के लिए मुलाकात की। शरद पवार से भुजबल का मिलना संयोग भी नहीं है। यह किसी बड़ी योजना का हिस्सा है, जिसके संकेत पिछले कुछ समय से मिल रहे थे। छगन भुजबल राज्य सरकार से नाराज हैं। नाराजगी का पहला कारण यह है कि एकनाथ शिंदे सरकार ने मराठाओं को कुनबी प्रमाणपत्र देकर उनको ओबीसी कोटे से आरक्षण देने का फैसला किया। इसके जवाब में ओबीसी समूहों का आंदोलन शुरू हुआ, जिसके पीछे पूरा समर्थन छगन भुजबल का था।
सोचें, खुद छगन भुजबल खुल कर बोल रहे हैं कि ओबीसी कोटे में मराठाओं को आरक्षण नहीं देना चाहिए और वे आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं लेकिन सार्वजनिक रूप से बयान दे रहे हैं कि शरद पवार ओबीसी और मराठा दोनों को उकसा रहे हैं। यह बयान देने के अगले ही दिन वे शरद पवार से मिलने पहुंचे। उनकी नाराजगी का कारण यह भी है कि उनको नासिक से लोकसभा की टिकट नहीं मिली। वह सीट शिंदे खेमे में चली गई। इसके बाद उनको उम्मीद थी कि अजित पवार उनको राज्यसभा भेजेंगे तो वह भी नहीं हुआ। अजित पवार ने अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को राज्यसभा भेज दिया। लोकसभा चुनाव के नतीजों ने छगन भुजबल को मुश्किल में डाला है। उनको किसी हाल में सत्तापक्ष के साथ रहना है। तभी वे शरद पवार के साथ संबंध सुधार कर रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि वे कब पाला बदलते हैं।