BMC Elections Maharashtra politics: विपक्षी पार्टियों का गठबंधन यानी ‘इंडिया’ का अस्तित्व है या नहीं इस बात का आकलन बृहन्नमुंबई महानगरपालिका यानी बीएमसी का चुनाव नहीं होगा।
क्योंकि अगर इसको कसौटी मानेंगे तो फिर एनडीए के अस्तित्व पर भी सवाल उठेगा। पिछले दिनों उद्धव ठाकरे की शिव सेना के राज्यसभा सांसद और प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि उनकी पार्टी बीएमसी का चुनाव और नागपुर की नगरपालिका का चुनाव अकेले लड़ेगी।
हालांकि इसके बाद उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी यानी विपक्ष की तीन पार्टियों का गठबंधन बना हुआ है।
पूरे देश में लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए बना गठबंधन ‘इंडिया’ को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने स्पष्ट कर दिया कि ‘इंडिया’ अखंड है या उसमें कोई विभाजन नहीं है।
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अब खबर है कि भाजपा भी देश की सबसे अमीर नगरपालिका यानी बीएमसी का चुनाव अकेले लड़ने की तैयारी कर रही है।
वह भी महायुति यानी एकनाथ शिंदे की शिव सेना और अजित पवार की एनसीपी से तालमेल खत्म करके अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है।
पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह महाराष्ट्र के दौरे पर गए थे तो शिरडी में उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस की तो जम कर तारीफ की लेकिन दोनों सहयोगी पार्टियों के लिए कुछ नहीं कहा।
उन्होंने शरद पवार और उद्धव ठाकरे पर भी खूब हमला किया। शाह ने स्पष्ट किया कि इस साल बीएमसी का चुनाव होगा। सोचें, बीएमसी का चुनाव तीन साल से नहीं हुआ है।
2022 में बीएमसी का कार्यकाल खत्म हो गया। उसी साल राज्य में भाजपा के समर्थन से एकनाथ शिंदे की सरकार भी बनी थी। वह पूरे कार्यकाल चुनाव टालती रही।
पिछले साल अक्टूबर में विधानसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन को मिली भारी भरकम जीत के बाद अंदाजा लगाया जा रहा था कि जल्दी चुनाव हो सकते हैं। लेकिन चुनाव कब होंगे यह अब भी पता नहीं है।
2017 में बीएमसी का चुनाव हुआ
बहरहाल, इससे पहले आखिरी बार 2017 में बीएमसी का चुनाव हुआ था तब राज्य में भाजपा और शिव सेना की सरकार थी। यानी एनडीए सरकार में था।
दोनों पार्टियों के बीच परफेक्ट गठबंधन था और देवेंद्र फड़नवीस मुख्यमंत्री थे। लेकिन तब भी दोनों पार्टियों ने बीएमसी का चुनाव अलग अलग ही लड़ा था। अलग लड़ने की योजना दोनों ने साझा तौर पर बनाई थी।
उस समय पहली बार भाजपा का मुख्यमंत्री बना था तो भाजपा को अपनी ताकत बढ़ने का अंदाजा था। अलग चुनाव लड़ने का सबसे बड़ा फायदा भाजपा को हुआ।
उसने 82 सीटें जीतीं, जबकि 2012 के चुनाव में उसको 31 सीटें मिली थीं यानी उसको 51 सीटों का फायदा हुआ। 2012 में 75 सीट जीतने वाली शिव सेना को 2017 में नौ सीटों का फायदा हुआ और वह 84 सीट पर पहुंच गई।
हालांकि 217 सदस्यों की नगरपालिका में किसी को बहुमत नहीं मिला। परंतु शिव सेना और भाजपा ने मिल कर मेयर चुना। शिव सेना का मेयर बना।
अलग लड़ने के बावजूद दोनों पार्टियों का गठबंधन बना रहा। उसी तरह इस बार भी दोनों गठबंधनों की पार्टियां अलग अलग लड़ेंगी।
लेकिन असली मुकाबला भाजपा और उद्धव ठाकरे की शिव सेना के बीच होगा। सबसे दिलचस्प यह देखना होगा कि भाजपा बीएमसी की सबसे बड़ी पार्टी बनती है या नहीं?
वह आज तक सबसे बड़ी पार्टी नहीं बन पाई है और हमेशा शिव सेना के साथ छोटे भाई की भूमिका में रहना पड़ा है।(BMC Elections Maharashtra politics)