Wednesday

02-04-2025 Vol 19

शरद पवार बनाम अजित पवार

क्या अब यह मान लिया जाए कि पवार चाचा भतीजे की लड़ाई असली है? पिछले साल जब अजित पवार ने एनसीपी तोड़ी थी और 40 विधायकों के साथ आने का दावा किया था तब माना गया था कि यह शरद और अजित पवार का मिला जुला खेल है, जैसा उन्होंने 2019 में भी खेला था। कई महीनों तक इसकी अटकलें चलती रहीं और यह कहा जाता रहा कि जितनी आसानी से अजित पवार कामयाब हो गए हैं वह शरद पवार की मर्जी के बगैर संभव नहीं है। इसी तरह यह भी कहा गया कि प्रफुल्ल पटेल और छगन भुजबल कैसे साहेब यानी शरद पवार से बाहर जा सकते हैं। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि दोनों में स्थायी दूरी बन गई है और कम से कम अगले महीने घोषित होने वाले लोकसभा चुनाव तक दोनों अलग रहने वाले हैं। उससे पहले दोनों के साथ आने की एक ही स्थिति है कि उद्धव ठाकरे के साथ भी भाजपा की बात हो जाए।

बहरहाल, जब से चुनाव आयोग ने अजित पवार खेमे को असली एनसीपी माना है तब से उनकी राजनीति ज्यादा आक्रामक हो गई है। उन्होंने खुल कर शरद पवार के खिलाफ बयानबाजी भी शुरू कर दी है और बारामती में शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले को हराने का ऐलान भी किया है। वे पिछले दिनों बारामती गए तो उन्होंने कहा कि वे उनके द्वारा उतारे गए उम्मीदवार का समर्थन करें और अपने क्षेत्र को मुक्त कराएं। उन्होंने शरद पवार पर निशाना साधते हुए यह भी कहा कि लोगों को उनकी भावनात्मक अपील पर ध्यान देने की जरुरत नहीं है। अजित पवार ने अपने चाचा पर तंज भी किया कि पता नहीं उनका आखिरी चुनाव कौन सा होगा! इस बीच शरद पवार खेमे के साथ रह गए रोहित पवार के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों की जांच भी तेज हो गई है। इससे लगता है कि परिवार में दूरी बढ़ गई है।

NI Political Desk

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