शरद पवार और अजित पवार की मुलाकात से एक बार फिर राजनीतिक चर्चा तेज हो गई है। महाराष्ट्र से लेकर केंद्र तक की राजनीति पर इसके असर का आकलन किया जा रहा है। हालांकि किसी को पता नहीं है कि दोनों की मुलाकात में क्या बात हुई लेकिन पुणे में एक कारोबारी के घर पर दोनों नेता मौसम का हालचाल डिस्कस या घरेलू बातचीत के लिए तो नहीं मिले थे। एनसीपी के दोनों खेमों की ओर से कहा गया कि शरद पवार और अजित पवार परिवार हैं इसलिए उनकी मुलाकात में कुछ अलग से देखने की जरूरत नहीं है। लेकिन स्थितियां घरेलू मुलाकात वाली नहीं हैं। जिस समय शरद पवार की पत्नी की तबियत खराब हुई थी और अजित पवार उनको देखने घर गए थे तब किसी ने राजनीतिक निष्कर्ष नहीं निकाला था। लेकिन पुणे में एक कारोबारी के घर पर दोनों नेताओं की मुलाकात का मतलब है।
यह मुलाकात मतलब वाली इस वजह से भी है कि पुणे में नेशनल कोऑपरेटिर सुगर फैक्टरी फेडरेशन की बैठक भी थी, जिसमें शरद पवार के साथ साथ मंच पर दिलीप वल्से पाटिल भी मौजूद थे, जो अजित पवार के साथ जाकर राज्य सरकार में सहकारिता मंत्री बन गए हैं। उनको पहले शरद पवार का बहुत खास माना जाता था। उन्होंने इस कार्यक्रम के बाद कहा कि शरद पवार उनके नेता हैं और हमेशा रहेंगे। एक तरफ अजित पवार की मुलाकात और दूसरी ओर उनके खेमे के बड़े नेता का यह कहना कि शरद पवार हमेशा नेता रहेंगे अपने आप में बड़ा राजनीतिक इशारा है। इससे जाहिर हो रहा है कि दोनों खेमों के बीच कोई टकराव नहीं है और सब कुछ प्लानिंग के हिसाब से चल रहा है। किसी योजना के तहत दोनों अलग अलग हैं। यह भी कहा जा रहा है कि पवार चाचा-भतीजे की मुलाकात में कैबिनेट फेरबदल के बारे में चर्चा हुई। प्रफुल्ल पटेल को केंद्र में मंत्री बनाने और कुछ अन्य विधायकों को राज्य सरकार में मंत्री बनाने के बारे में बातचीत हुई है। संभव है कि जल्दी ही मुंबई में कैबिनेट विस्तार देखने को मिले।