महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अपने उप मुख्यमंत्री अजित पवार से नाराज हैं। वैसे नाराजगी तो पहले से थी क्योंकि शिंदे नहीं चाहते थे कि भाजपा किसी और पार्टी को साथ में ले। लेकिन भाजपा ने एनसीपी के एक धड़े को सरकार में शामिल किया और नौ लोगों को मंत्री बनाया। अब नाराजगी इसलिए बढ़ी है क्योंकि अजित पवार मनमाने फैसले कर रहे हैं। वे किसी भी फैसले के लिए मुख्यमंत्री से बात करने की जरूरत नहीं समझ रहे हैं। कहा जा रहा है कि वे सीधे भाजपा आलाकमान के संपर्क में हैं। भाजपा की ओर से भी अजित पवार और उनके खेमे के नेताओं को ज्यादा महत्व दिया जा रहा है।
भाजपा किस तरह से अजित पवार को महत्व दे रही है यह पिछले दिनों दिखा, जब राधाकृष्ण विखे पाटिल जैसे बड़े नेता को हटा कर अजित पवार और उनके खेमे के नेता दिलीप वलसे पाटिल को कैबिनेट कमेटी ऑफ इंफ्रास्ट्रक्चर में शामिल किया गया। इससे भी एकनाथ शिंदे की नाराजगी बढ़ी है। जानकार सूत्रों का कहना है कि इस बीच राज्य सरकार में एक आदेश के जरिए अजित पवार की सारी फाइलें उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के जरिए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को भेजने को कहा गया है।
जाहिर है कि राज्य सरकार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। अजित पवार के महायुति सरकार में शामिल होने के बाद मुख्यमंत्री का खेमा अपने को कमजोर हुआ मान रहा है क्योंकि भाजपा को अब सरकार चलाने के लिए शिंदे गुट के विधायकों की जरूरत नहीं रह गई है। शिंदे की दूसरी चिंता यह है कि टिकट बंटवारे में भी उनके मोलभाव की ताकत कम हो गई है। मराठा वोट की चिंता में भाजपा अजित पवार खेमे को ज्यादा सीटें देने के विचार में है।