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28-02-2025 Vol 19

महाराष्ट्र में कौन किसके साथ जाएगा?

पूरे देश में लोकसभा का चुनाव जीतने हारने के लिए लड़ा जा रहा है और इस बात की ही चर्चा हो रही है कि कौन जीतेगा, किसकी सरकार बनेगी, जो हारेगा उसका क्या होगा आदि आदि। लेकिन महाराष्ट्र में चुनाव हिसाब बराबर करने के लिए लड़ा जा रहा है। बाला साहेब ठाकरे और हिंदुत्व की राजनीति की विरासत पर निर्णायक रूप से नियंत्रण के लिए भी लड़ा जा रहा है। महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों से सिर्फ केंद्र की सरकार का फैसला नहीं होगा, बल्कि राज्य की राजनीति की तस्वीर भी साफ होगी। शरद पवार अब तक जिस मराठा वोट की एकछत्र राजनीति करते थे उस पर उनके एकाधिकार को चुनौती दी है उनके भतीजे अजित पवार ने। उसका भी फैसला चुनाव नतीजों से होगा।

इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक अलग शिगूफा छोड़ दिया है। उन्होंने कहा है कि उद्धव ठाकरे और शरद पवार को कांग्रेस में विलय करके जाने देने से अच्छा है कि दोनों सीना तान कर अजित पवार और एकनाथ शिंदे की पार्टी में लौट जाएं। असल में इससे पहले शरद पवार ने कहा था कि कई प्रादेशिक पार्टियों का विलय कांग्रेस में होगा। तभी भाजपा ने यह प्रचार शुरू किया कि उद्धव ठाकरे और शरद पवार की पार्टी का कांग्रेस में विलय होगा। उसके बाद प्रधानमंत्री ने इन दोनों नेताओं को चुनाव आय़ोग से मान्यता प्राप्त असली शिव सेना और असली एनसीपी में लौटने की सलाह दी।

सो, इस बार के चुनाव नतीजों से यह भी तय होगा कि कौन किसके साथ लौटेगा? महाराष्ट्र में इस बात की भी चर्चा है कि चुनाव के बाद अजित पवार वापस अपने चाचा यानी शरद पवार के साथ लौट सकते हैं। इसी तरह एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिव सेना अगर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाती है तो भले वे उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिव सेना में नहीं लौटें लेकिन उनकी पार्टी के ज्यादातर नेता उनको छोड़ कर उद्धव ठाकरे के साथ चले जाएंगे। महाराष्ट्र में इसी बात की ज्यादा चर्चा है कि भले चुनाव आयोग और विधानसभा स्पीकर ने शिंदे और अजित पवार गुट को असली पार्टी माना हो लेकिन जनता की नजर में अब भी उद्धव ठाकरे और शरद पवार की पार्टी ही असली है।

यह बात चुनाव नतीजों में साबित हो सकती है। तभी कहा जा रहा है कि एकनाथ शिंदे और अजित पवार से ज्यादा मेहनत भाजपा के नेता कर रहे हैं। उनको लग रहा है कि ये दोनों पार्टियां भाजपा के साथ तभी रह सकती हैं, जब लोकसभा चुनाव में इनको अच्छी जीत मिले। अगर ये जीत जाते हैं तब तो ये भाजपा के साथ रहेंगे और भाजपा के साथ ही विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे। लेकिन अगर इनके उम्मीदवार हारते हैं और दूसरी ओर उद्धव व शरद पवार के उम्मीदवार जीतते हैं तो शिंदे और अजित पवार की पार्टी खत्म होगी। फिर भाजपा को भी इनके साथ विधानसभा चुनाव लड़ने का कोई फायदा नहीं होगा और इसलिए वह भी इनको छोड़ेगी। तभी महाराष्ट्र का चुनाव बाकी राज्यों से अलग तरह का हो गया है।

NI Political Desk

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