Wednesday

02-04-2025 Vol 19

कई राज्यों में कांग्रेस को खाता खोलना है

कांग्रेस पार्टी लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन सुधारने के प्रयासों में लगी है और इसके लिए वह अपने घनघोर दुश्मन पार्टियों के साथ भी तालमेल कर रही है। आम आदमी पार्टी के साथ लगभग समझौता हो गया है और चंडीगढ़ के मेयर और उपमेयर के चुनाव में उसका ट्रायल भी हो गया है। लोकसभा में प्रदर्शन सुधारने के लिए ही राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का दूसरा चरण शुरू हुआ है। लेकिन इसके साथ ही कांग्रेस कई राज्यों में खाता खोलने के प्रयास में भी है। ध्यान रहे पिछले लोकसभा चुनाव में कई छोटे-बड़े राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड आदि में कांग्रेस का खाता नहीं खुला था। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, कर्नाटक जैसे राज्यों में एक-एक सीटें मिली थीं।

इस बार कांग्रेस उन सभी राज्यों में खाता खुलने की उम्मीद कर रही है, जहां पिछली बार उसे एक भी सीट नहीं मिली थी। इसके लिए कई तरह के उपाय हो रहे हैं। आंध्र प्रदेश में कांग्रेस ने सबसे बड़ा दांव चला है, जहां मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की बहन वाईएस शर्मिला को कांग्रेस में शामिल कराया गया है। पूरा आंध्र प्रदेश शर्मिला को जानता है क्योंकि वे राज्य के मुख्यमंत्री रहे दिवंगत वाईएसआर रेड्डी की बेटी हैं और जब जगन मोहन रेड्डी जेल में बंद थे तो शर्मिला ने पूरे प्रदेश की पदयात्रा की थी। आक्रामक तेवर और 24 घंटे राजनीति करने की उनकी क्षमता से कांग्रेस को बड़ी उम्मीदें हैं। इस बार कांग्रेस राज्य में त्रिकोणात्मक मुकाबले में खाता खुलने की उम्मीद कर रही है।

कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी से तालमेल किया है। चंडीगढ़ में दोनों पार्टियों ने मिल कर मेयर और उपमेयर का चुनाव लड़ा। इससे पहले सात सदस्यों वाली कांग्रेस चुनाव से अलग रहती थी तो भाजपा आराम से चुनाव जीत जाती थी। गौरतलब है कि भाजपा के 14 और आम आदमी पार्टी के 13 सदस्य हैं। चंडीगढ़ की सांसद पदेन सदस्य हैं। आम आदमी पार्टी से तालमेल का लाभ कांग्रेस को हरियाणा और दिल्ली में मिल सकता है। हरियाणा में कांग्रेस बहुत मजबूत स्थिति में है और उसे सिर्फ खाता खुलने की नहीं, बल्कि अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है। आप से तालमेल होने पर कांग्रेस को अंदाजा है कि उसका वोट नहीं बंटेगा और उसे दो या तीन सीटें मिल जाएंगी। दिल्ली में भी दोनों का तालमेल होगा लेकिन वहां भाजपा का वोट 50 फीसदी से ऊपर है। अगर सांसदों के खिलाफ एंटी इन्कम्बैंसी काम करती है तो कांग्रेस का खाता खुल सकता है।

राजस्थान में पिछली बार सरकार में होने के बावजूद कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। इस बार कांग्रेस सरकार से बाहर है, लेकिन पिछले साल नवंबर में हुए चुनाव में कांग्रेस ने बहुत दम दिखाया और भाजपा की सरकार बनने के बाद एक विधानसभा सीट का चुनाव जीत कर एक बड़ा मैसेज बनवाया है। अब कांग्रेस ने जाट अध्यक्ष और दलित नेता प्रतिपक्ष बनवाया। इसके अलावा अशोक गहलोत और सचिन पायलट के जरिए ओबीसी और गुर्जर वोट पर कांग्रेस की नजर है। हनुमान बेनीवाल इस बार भाजपा से अलग हैं। इससे भी कांग्रेस को खाता खुलने की संभावना दिख रही है। आम आदमी पार्टी से तालमेल के बावजूद गुजरात में लगातार तीसरी बार कांग्रेस का खाता खुलने की संभावना नहीं है।

NI Political Desk

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