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19-04-2025 Vol 19

बाहरी नेता तलाश रही है भाजपा

ऐसा संभवतः पहली बार हो रहा है कि कोई पार्टी सुनियोजित तरीके से बाहरी लोगों को अपनी पार्टी में लाने की योजना पर काम कर रही हो। यह ज्यादा हैरानी की बात इसलिए है क्योंकि यह काम दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करने वाली भाजपा कर रही है। असल में पिछले दिनों भाजपा की एक बड़ी बैठक हुई थी, जिसमें तय किया गया कि दूसरी पार्टियों के नेताओं को भाजपा में शामिल कराया जाए। इसके साथ ही यह भी तय हुआ कि ऐसे लोग, जो किसी पार्टी से नहीं जुड़े हों लेकिन अपने क्षेत्र में प्रभावशाली हों उनसे भी संपर्क किया जाना चाहिए। भाजपा के करीब तीन सौ नेताओं की इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा शामिल हुए थे। इसमें कहा गया कि जो भी व्यक्ति ‘राष्ट्रवाद के अभियान’ में शामिल होने का इच्छुक हो उससे संपर्क किया जाए और उसे भाजपा में शामिल कराया जाए।

जानकार सूत्रों का यह भी कहना है कि इसके लिए एक कमेटी भी बनाई है, जो दूसरी पार्टियों के मजबूत नेताओं और समाज के प्रभावशाली लोगों से संपर्क करेगी और उन्हें भाजपा में शामिल कराएगी। बिहार के प्रभारी महासचिव विनोद तावड़े इस कमेटी में हैं और कहा जा रहा है कि केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और धर्मेंद्र प्रधान भी इसमें शामिल हैं। लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा अपने इस अभियान से दूसरी विपक्षी पार्टियों में भगदड़ मचाना चाहती है तो साथ ही एक माहौल भी बनाना चाहती है कि राष्ट्रवादी लोग भाजपा से जुड़ रहे हैं।

हालांकि घोषित तौर पर यह अभियान शुरू करने से पहले ही भाजपा दूसरी पार्टियों के नेताओं को थोक के भाव अपनी पार्टी में शामिल करा रही है। कांग्रेस के अनेक नेता भाजपा में शामिल हुए हैं, जिनको पार्टी ने केंद्रीय मंत्री बनाया है या राज्यों में मुख्यमंत्री और मंत्री बनाया है। पार्टी की प्रदेश और केंद्रीय ईकाई में कई पदाधिकारी ऐसे हैं, जो दूसरी पार्टियों से आए हैं। असम सहित पूर्वोत्तर के जिन राज्यों में भी भाजपा की सरकार है वहां कोई न कोई पूर्व कांग्रेसी नेता ही मुख्यमंत्री है। पश्चिम बंगाल में नेता विपक्ष भी तृणमूल कांग्रेस से आयातित हैं तो कई राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष भी बाहर से आए नेताओं को बनाया गया है।

बहरहाल, इस बारे में अभी सूचना नहीं है कि दूसरी पार्टियों के नेताओं या समाज के प्रभावशाली लोगों को पार्टी में शामिल कराने का अभियान कैसे चलेगा। बताया जा रहा है कि भाजपा के इस अभियान का मकसद अपनी चिर प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस को कमजोर करना है। इस अभियान के तहत पिछले दिन मुंबई कांग्रेस के बड़े नेता मिलिंद देवड़ा को तोड़ा गया। वे सीधे भारतीय जनता पार्टी में शामिल नहीं हुए क्योंकि वे जिस लोकसभा सीट से चुनाव लड़ते हैं वह सीट शिव सेना के खाते में जाएगी। इसलिए वे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की मौजूदगी में शिव सेना में शामिल हुए। मिलिंद देवड़ा के पार्टी छोड़ने के बाद भाजपा नेताओं ने कहा था कि यह तो अभी ट्रेलर है। इसका मतलब है कि ऐसे बहुत से लोग हैं, जो अगले कुछ दिनों में कांग्रेस छोड़ सकते हैं। इसलिए भाजपा इस काम को अब व्यवस्थित तरीके से करने वाली है, कमेटी बना कर।

NI Political Desk

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