राज्यसभा में केंद्र सरकार की सलाह पर राष्ट्रपति 12 सदस्यों को मनोनीत करते हैं। भाजपा के सत्ता में आने से पहले मनोनीत श्रेणी की सीटों पर लुटियंस की दिल्ली के लोग आमतौर पर उच्च सदन में भेजे जाते थे। बड़ी फिल्मी हस्तियां, लेखक, पत्रकार और वकील आदि राज्यसभा जाते थे। लेकिन नरेंद्र मोदी ने उस परंपरा को बदल दिया। उन्होंने अपेक्षाकृत कम चर्चित लोगों को राज्यसभा में भेजने की परंपरा शुरू की। अभी तक के करीब 10 साल के राज में उन्होंने सिर्फ एक पत्रकार स्वप्न दासगुप्ता को राज्यसभा में भेजा था। उनका भी कार्यकाल पिछले साल खत्म हो गया।
अब स्थिति यह है कि राज्यसभा की मनोनीत श्रेणी की सीटों पर से लोगों का ध्यान पूरी तरह से हट गया है। संविधान के मुताबिक 12 सदस्य मनोनीत होने हैं लेकिन दो सीटें लंबे समय से खाली हैं और सरकार ने उन पर किसी को नियुक्त करने की जरुरत नहीं समझी है। अभी मनोनीत श्रेणी के सिर्फ 10 सांसद हैं। इनमें से भी जुलाई में चार सदस्य रिटायर होने वाले हैं। सोनल मानसिंह, राकेश सिन्हा, महेश जेठमलानी और रामशकल इस साल जुलाई में रिटायर हो जाएंगे। इस तरह छह सीटें खाली हो जाएंगी। इन सभी सीटों के बारे में लोकसभा चुनाव के बाद ही फैसला होने की संभावना है। अगर नरेंद्र मोदी सरकार को वापसी के बारे में संदेह होता तो कम से कम दो सीटों पर पहले नियुक्ति की जा सकती थी।