ऐसा लग रहा है कि भाजपा नेताओं के बयान से न्यायपालिका में नाराजगी हुई है और खास कर भावी चीफ जस्टिस ज्यादा नाराज हुए हैं। ध्यान रहे जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई अगले महीने चीफ जस्टिस बनने वाले हैं। 14 मई को चीफ जस्टिस संजीव खन्ना रिटायर होंगे और जगह जस्टिस गवई चीफ जस्टिस होंगे।
जस्टिस गवई की नाराजगी: भाजपा और न्यायपालिका
उन्होंने सोमवार को दो अलग अलग मामलों की सुनवाई के दौरान तंज करते हुए कहा कि न्यायपालिका पर सरकार के कामकाज में दखल देने के आरोप लग रहे हैं। एक मामले में तो उन्होंने इसी को आधार बताते हुए कोई भी आदेश देने से ही इनकार कर दिया।
जस्टिस बीआर गवई की बेंच में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हो रही हिंसा की वजह से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने और केंद्रीय बलों की तैनाती की आदेश देने की मांग की गई थी। इस पर जस्टिस गवई ने कहा कि क्या याचिकाकर्ता चाहते हैं कि अदालत राष्ट्रपति को निर्देश दे? उन्होंने कहा कि अदालत पर कार्यपालिका के कामकाज में दखल देने के आरोप लग रहे हैं। यह कहते हुए अदालत ने याचिका पर आदेश नहीं दिया।
दूसरी याचिका हिंदुत्व के झंडाबरदार विष्णु शंकर जैन की थी, जिसमें उन्होंने ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील सामग्री दिखाए जाने पर रोक लगाने के लिए सरकार को कानून बनाने का निर्देश देने की मांग की थी। इस पर भी जस्टिस गवई ने कहा कि यह नीतिगत मामला है और क्या आप चाहते हैं कि अदालत इस मामले में निर्देश दे, जबकि अदालत पर सरकार के कामकाज में दखल देने के आरोप लग रहे हैं? हालांकि इसके बाद अदालत ने जैन को विपक्षी पार्टियों को याचिका की कॉपी उपलब्ध कराने और मामले को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया। इससे लग रहा है कि सर्वोच्च न्यायपालिका ने सत्तापक्ष के सांसदों और अन्य लोगों की बयानबाजी को गंभीरता से लिया है।
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