Wednesday

23-04-2025 Vol 19

सरकार की तरह नड्डा का संगठन

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपने कार्यकाल का विस्तार होने के छह महीने बाद अपने संगठन का ऐलान किया। उन्होंने संगठन में ज्यादा बदलाव नहीं किए। ज्यादातर पदाधिकारियों को उन्होंने बनाए रखा है। थोड़े से नए चेहरे संगठन में शामिल किए गए हैं। उनके 38 लोगों के संगठन को देख कर लग रहा है कि जिस तरह नरेंद्र मोदी की सरकार में पिछड़े, दलित और आदिवासी को महत्व दिया गया है वैसे ही नड्डा के संगठन में भी है। यह एक तरह से भाजपा की राजनीति में हो रहे स्थायी बदलाव का संकेत है।

ध्यान रहे कुछ समय पहले तक कहा जा रहा था कि भाजपा ब्राह्मणों और बनियों की पार्टी है। लेकिन अब यह धारणा बदल रही है। बनियों को भाजपा में अब भी प्रमुखता मिल रही है लेकिन ब्राह्मण और दूसरी अगड़ी जातियों की संख्या लगातार कम होती जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने जुलाई 2021 में जब अपनी सरकार में फेरबदल की थी तब उन्होंने संसद में अपनी नई टीम का परिचय कराते हुए बड़े गर्व से कहा कि उनकी सरकार में पिछड़ी जाति के कितने लोग मंत्री बनाए गए हैं। भाजपा ने इतिहास बनाने का दावा किया। खुद प्रधानमंत्री कई बार कह चुके हैं कि वे पिछड़ी जाति से आते हैं।

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा खुद ब्राह्मण हैं लेकिन उनकी 38 लोगों की टीम में मुश्किल से पांच ब्राह्मण चेहरे हैं। सबसे दिलचस्प बात यह है कि नड्डा ने अपनी टीम में नौ महामंत्री बनाए हैं, जिनमें से कोई ब्राह्मण नहीं है। नौ महामंत्रियों में तीन वैश्य समुदाय के हैं। कैलाश विजयवर्गीय और सुनील बंसल पहले से नड्डा की टीम में काम कर रहे थे तीसरे वैश्य नेता के तौर पर राधामोहन अग्रवाल को शामिल किया गया है, जो तीन बार गोरखपुर से विधायक रहे थे। उन्होंने योगी आदित्यनाथ के लिए अपनी सीट छोड़ी थी। बदले में उनको राज्यसभा भेजा गया है और अब राष्ट्रीय महामंत्री बनाया गया है।

वैश्य समाज के ही राजेश अग्रवाल को राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बनाए रखा गया है और सह कोषाध्यक्ष भी उसी समाज के नरेश बंसल को बनाया गया है। दो-तीन ब्राह्मण नेताओं को उपाध्यक्ष बनाया गया है लेकिन सबको पता है कि उपाध्यक्षों के पास ज्यादा काम नहीं होते हैं। संगठन में ज्यादा जिम्मेदारी का काम महामंत्री ही निभाते हैं। बहरहाल, सरकार और संगठन में अन्य पिछड़ी जातियों का प्रतिनिधित्व बढ़ा कर भाजपा ने नई सोशल इंजीनियरिंग का संकेत दिया है। असल में विपक्षी पार्टियों का गठबंधन ‘इंडिया’ जातीय जनगणना, सामाजिक न्याय और आरक्षण के मसले पर राजनीति कर रहा है। कई राज्यों में यह राजनीति भाजपा के लिए मुश्किल पैदा कर सकती है। इसलिए भाजपा मंडल की राजनीति को अपना रही है।

NI Political Desk

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