Thursday

24-04-2025 Vol 19

चुनाव के बीच भी आईटी और ईडी का छापा

आयकर विभाग ने शनिवार, नौ नवंबर को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निजी सचिव सुनील श्रीवास्तव और उनसे जुड़े कुछ लोगों के यहां छापा मारा। झारखंड में पहले चरण की 43 सीटों पर 13 नवंबर को चुनाव होना है। उससे चार दिन पहले मुख्यमंत्री और भाजपा के मुख्य प्रतिद्वंद्वी हेमंत सोरेन के निजी सचिव के यहां छापा मारने का क्या मतलब है? क्या आयकर विभाग की कार्रवाई 10 दिन इंतजार नहीं कर सकती थी? गौरतलब है कि पिछले कई महीनों से लगातार हेमंत सोरेन, उनके करीबी लोगों और सरकार में अहम पदों पर रहे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई चल रही है। अभी तक सुनील श्रीवास्तव बचे हुए थे। उनके यहां कोई छापा नहीं पड़ा था। सो, जब आयकर विभाग या ईडी ने महीनों तक इंतजार किया तो कुछ दिन और इंतजार करने में कुछ नुकसान नहीं था।

आखिर शनिवार की छापेमारी में सुनील श्रीवास्तव या किसी और व्यक्ति के यहां से कुछ भी नहीं मिला। ध्यान रहे जब नकदी या सोना, चांदी नहीं मिले और छापेमारी के बाद एजेंसी कहे कि उसने कई दस्तावेज और कंप्यूटर जब्त किए हैं तो इसका मतलब होता है कि उसे कुछ नहीं मिला है। एजेंसियों को पता होता है कि कब कुछ मिलना है और कब कुछ भी नहीं मिलना है। फिर भी छापेमारी हुई तो इसका मतलब परेशान करना और जनता के बीच एक मैसेज बनवाना था। इस छापेमारी से ठीक पहले भाजपा के एक सांसद ने कुछ लोगों के नाम लिए थे और उन पर आरोप लगाए थे। उनमें से एक नाम सुनील श्रीवास्तव का भी था। उनके नाम लेने के बाद एक हफ्ते में आयकर विभाग ने छापा मार दिया। गौरतलब है कि चुनाव की घोषणा के बाद कम से कम तीन बार झारखंड में छापेमारी हो चुकी है।

NI Political Desk

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