नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल अभी तक प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से भारतीय जनता पार्टी के साथ ही रही है। पहले बीजू जनता दल एनडीए का हिस्सा थी। नवीन पटनायक केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रहे। बाद में ओड़िशा में दोनों पार्टियां मिल कर चुनाव लड़ीं और नवीन पटनायक मुख्यमंत्री बने। भाजपा के साथ दो बार चुनाव लड़ने के बाद नवीन पटनायक ने गठबंधन तोड़ दिया और अलग हो गए। हालांकि उसके बाद भी केंद्र की राजनीति में उनका परोक्ष समर्थन भाजपा के साथ ही रहा। केंद्र में नरेंद्र मोदी की पहली दो सरकारों में बीजू जनता दल ने संसद में सरकार का मुद्दा आधारित समर्थन किया। उस समय भाजपा की ओर से बीजद को लोकसभा में उपाध्यक्ष के पद का भी ऑफर दिया गया था। लेकिन नवीन पटनायक न सरकार में शामिल हुए और न उपाध्यक्ष पद का प्रस्ताव स्वीकार किया। उनकी पार्टी की ओर से उपाध्यक्ष पद के दावेदार रहे भ्रतृहरि माहताब अब भाजपा में चले गए हैं।
पिछले साल लोकसभा चुनाव में सभी सीटों पर हार कर शून्य पर पहुंचने और उसके साथ ही विधानसभा चुनाव हार कर 24 साल बाद सत्ता से बाहर होने के बाद नवीन पटनायक धीरे धीरे भाजपा विरोधी राजनीति की ओर बढ़ रहे हैं। उनको समझ में आ गया है कि पहले जैसे वे और उनके पिता कांग्रेस से लड़ते रहे वैसे उनको भाजपा से लड़ना होगा। ओडिशा में भाजपा सबसे बड़ी ताकत है, जबकि कांग्रेस हाशिए पर चली गई है। इसलिए अब नवीन पटनायक कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष के साथ राजनीति करने में कोई परेशानी नहीं है। पिछले साल जून में लोकसभा और विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से वे भाजपा विरोधी राजनीति कर रहे हैं लेकिन अब पहली बार वे विपक्ष की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे हैं।
नवीन पटनायक ने डीएमके नेता और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन का न्योता स्वीकार कर लिया है। वे 22 मार्च को चेन्नई में होने वाली विपक्ष की बैठक में खुद शामिल होंगे या किसी प्रतिनिधि को भेजेंगे। गौरतलब है कि परिसीमन और त्रिभाषा फॉर्मूले के विरोध में स्टालिन ने सात राज्यों के मुख्यमंत्रियों और पूर्व मुख्यमंत्रियों को 22 मार्च की बैठक के लिए बुलाया है। नवीन पटनायक ने इस बैठक के लिए हामी भर दी है। संभवतः पहली बार उनकी पार्टी भाजपा विरोधी मोर्चे के नेताओं के साथ बैठेगी। इसी तरह वे मतदाता सूची में गड़बड़ी के मामले में भी विपक्ष के साथ खड़े हैं। गौरतलब है कि संसद के बजट सत्र के पहले दिन कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मतदाता सूची में गड़बड़ी का मामला उठाया था। तृणमूल कांग्रेस ने अपने राज्य में इसे बड़ा मुद्दा बनाया है। नवीन पटनायक की पार्टी के सात राज्यसभा सांसदों ने चुनाव आयोग से मिल कर मतदाता सूची में गड़बड़ी से लेकर वीवीपैट से निकलने वाली पर्चियों के ईवीएम के वोट का मुद्दा उठाया है। उनकी पार्टी ने संकेत दिया है कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव को लेकर विपक्ष की ओर से उठाए जाने वाले मुद्दों पर उनकी पार्टी राज्यसभा में विपक्ष का साथ देगी। अब देखना है कि विपक्ष के साथ उनकी यह दोस्ती कहां तक जाती है।