Wednesday

02-04-2025 Vol 19

लेफ्ट पार्टियां सिर्फ समस्या बढ़ा रही हैं

विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में पहले माना जा रहा था कि सबसे ज्यादा समस्या ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल की वजह से होगी। ममता बनर्जी समस्या पैदा कर रही हैं लेकिन केजरीवाल सीट बंटवारे से लेकर परदे के पीछे से सीटों की एडजस्टमेंट या दोस्ताना लड़ाई के लिए भी तैयार हैं। उनके साथ कांग्रेस की बहुत अच्छी वार्ता चल रही है और चंडीगढ़ के मेयर के चुनाव में दोनों पार्टियों ने तालमेल कर भी लिया है। विपक्षी गठबंधन में सबसे ज्यादा समस्या वामपंथी पार्टियों की ओर से पैदा की जा रही हैं। केरल छोड़ कर कहीं भी लेफ्ट पार्टियों का आधार नहीं बचा है लेकिन उनको हर जगह सीट चाहिए। लेफ्ट को ऐसे राज्यों में भी सीट चाहिए, जहां अपने अच्छे दिनों में भी वह कोई सीट नहीं जीतती थी। हो सकता है कि यह दबाव की राजनीति हो लेकिन इससे विपक्षी गठबंधन में कंफ्यूजन बन रहा है।

लेफ्ट ने बंगाल में ममता के साथ गठबंधन से इनकार कर दिया है और केरल में वैसे भी सत्तारूढ़ गठबंधन यानी लेफ्ट मोर्चा और मुख्य विपक्षी यानी कांग्रेस मोर्चा में तालमेल ठीक नहीं होगा। सो, इन राज्यों में लेफ्ट गठबंधन से अलग है। बाकी राज्यों में उसके पास कोई राजनीतिक पूंजी नहीं है। फिर भी उसे हर जगह सीट चाहिए। सोचें, लेफ्ट पार्टियों ने हरियाणा में भी लोकसभा की सीट मांगी है। उन्हें राजस्थान में भी सीट चाहिए तो महाराष्ट्र में भी सीट चाहिए। लेफ्ट ने तेलंगाना में भी सीट मांगी है तो झारखंड में भी एक सीट की दावेदारी की है। बिहार में तो 10 सीटों की मांग करके लेफ्ट की पार्टियां कम से कम चार सीटों पर अड़ी हैं, जहां राजद और जदयू दो सीटें मुश्किल से निकाल पा रहे हैं। वैचारिक या सांगठनिक रूप से लेफ्ट किसी तरह का वैल्यू एडिशन विपक्षी गठबंधन में नहीं कर पा रहा है लेकिन सीट बंटवारे में उसकी वजह से बाधा आ रही है।

NI Political Desk

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