खबर है कि भारत में इंडियन प्रीमियर लीग यानी आईपीएल की परिकल्पना करने वाले कारोबारी और पूर्व क्रिकेट प्रशासक ललित मोदी ने दक्षिण प्रशांत सागर में स्थित एक द्वीपीय देश वनियातु की नागरिकता ले ली है। इस देश की नागरिकता लेना दुनिया में सबसे आसान माना जाता है। 1.20 करोड़ से लेकर 1.30 करोड़ रुपए देकर वहां की नागरिकता मिल जाती है। वहां कोई प्रत्यक्ष कर नहीं लगता है और उसका पासपोर्ट इतना मजबूत है कि 113 देशों में बिना वीजा यात्रा की अनुमति है। भारत का पासपोर्ट हेनली रैंकिंग में 80वें स्थान पर है, जबकि वनियातु का पासपोर्ट 51वें स्थान पर है। बहरहाल, ललित मोदी ने भारतीय पासपोर्ट सरेंडर करने का आवेदन किया है, जिस पर विचार किया जा रहा है।
इससे पहले विजय माल्या ने भारत सरकार के आंकड़े बताते हुए ही दावा किया था कि उनके ऊपर जितने कर्ज का बकाया बताया जा रहा था उससे ज्यादा वसूली की जा चुकी है। फिर भी वे भगोड़ा कहे जा रहे हैं। सवाल है कि जब माल्या के बकाया कर्ज की वसूली हो चुकी है तो सरकार क्यों नहीं उनके साथ मामला सेटल करती है? ऐसा लग रहा है कि सरकार अपनी कमजोरियों को छिपाने के लिए ललित मोदी और विजय माल्या की मिसाल बनाए हुए है। हकीकत यह है कि इन दोनों पर लगे आरोप वैसे नहीं हैं, जैसे मेहुल चौकसी और नीरव मोदी या अन्य लोगों पर है। उन्होंने सरकार और आम लोग दोनों से ठगी की है, फ्रॉड किया है। जबकि माल्या का कारोबार फेल हुआ तो वे लोन डिफॉल्टर हुए। उन्होंने बैंकों से फर्जी कागज बना कर विदेशी ब्रांच से पैसा नहीं निकाला है। लेकिन सरकार टके सेर भाजी, टके सेर खाजा के हिसाब से काम कर रही है।