केंद्र सरकार की एजेंसियां कई बातों को लेकर अदालतों के निशाने पर हैं। पिछले कुछ समय से कई हाई कोर्ट और कई बार सुप्रीम कोर्ट ने भी ईडी, सीबीआई जैसी एजेंसियों पर टिप्पणी की है। (government witness)
हो सकता है कि आने वाले दिनों में इस बात भी टिप्पणी हो कि एजेंसियां आरोपियों को सरकारी गवाह बनाने के खेल में लगी हैं और उनके सहारे ही आरोपियों को सजा दिलाने का प्रयास कर रही हैं।
ताजा मामला पश्चिम बंगाल का है, जहां प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने शिक्षक भर्ती घोटाले के एक आरोपी को सरकारीर गवाह बनाने का फैसला किया है। विशेष अदालत ने इसकी अनुमति भी दे दी है। (government witness)
also read: यमन में अमेरिकी हवाई हमलों में 53 लोगों की मौत, 100 से ज्यादा घायल
अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कार्रवाई (government witness)
शिक्षक भर्ती घोटाले में ईडी ने मुख्य आरोपी ममता बनर्जी सरकार के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी के दामाद कल्याणमय भट्टाचार्य को सरकारी गवाह बनाया है। पहले ईडी ने उनको भी आरोपी बनाया था लेकिन अब वे सरकारी गवाह बन गए हैं। (government witness)
अपने को बचाने के लिए इसी तरह आरोपी सरकारी गवाह बनते रहे तो फिर भ्रष्टाचार दूर करने के अभियान का क्या होगा? एक बड़ा सवाल यह है कि विपक्षी पार्टियों के बड़े नेताओं को फंसाने और सजा दिलाने के लिए क्या आरोपियों को सरकारी गवाह बनाने की इजाजत दी जानी चाहिए?
क्या एजेंसी को पुख्ता सबूत नहीं मिल रहे हैं तो यह रास्ता अपनाया जा रहा है? ध्यान रहे इसी तरह शराब नीति घोटाले में भी आरोपियों को सरकारर गवाह बनाया गया है और उनकी गवाही पर अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कार्रवाई हो रही है। (government witness)