कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया है कि केरल में सरकार चला रही कम्युनिस्ट पार्टी का भाजपा के साथ अंदरखाने तालमेल है। वैसे इस तरह के आरोप सभी पार्टियां एक दूसरे पर लगाती रहती हैं लेकिन क्या यह सिर्फ आरोप है या इसमें दम है? यह सवाल इसलिए है क्योंकि पिछले कुछ दिनों से सीपीएम और भाजपा के बीच जुबानी जंग शांत है और दोनों एक दूसरे के प्रति सद्भाव दिखा रहे हैं। दो दिन के भीतर इसकी दो मिसाल देखने को मिली। मंगलवार को केरल के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन ने दिल्ली में केरल भवन में अपनी पार्टी के राज्यसभा सांसदों के साथ बैठक की, जिसमें राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर भी शामिल हुए।
राज्यपाल अर्लेकर ने मुख्यमंत्री और सांसदों से कहा कि वे राज्य सरकार और राज्य की समस्याओं से परिचित हैं और उसे केंद्र के सामने उठाएंगे। उन्होंने कहा कि वे राज्य की समस्यों को प्रभावी ढंग से उठाने में विजयन के साथ खड़े होंगे। सोचें, इससे पहले राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के साथ किस तरह का टकराव चल रहा था और अब राज्यपाल सहयोग कर रहे हैं। दूसरी घटना बुधवार की है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मुख्यमंत्री पी विजयन और राज्यपाल अर्लेकर से मुलाकात की। यह मुलाकात बुधवार की सुबह नाश्ते पर केरल भवन में हुई। इस बैठक में मुख्यमंत्री के साथ साथ राज्यपाल अर्लेकर ने भी केरल की समस्याओं और जरुरतों के बारे में केंद्रीय वित्त मंत्री को बताया। इसके बाद दोनों के बीच मिलीभगत की चर्चाएं और तेज हो गई हैं। ऐसा लग रहा है कि इन चर्चाओं से भाजपा और लेफ्ट दोनों फायदे की उम्मीद कर रहे हैं।