यह उत्तर भारत में देखने को मिलता है कि अंग्रेजी की पढ़ाई भी हिंदी में होती है। अंग्रेजी के मास्टर और प्रोफेसर छात्रों के हिंदी में ही पढ़ाते हैं क्योंकि 90 फीसदी से ज्यादा छात्र न तो हिंदी बोल सकते हैं और न समझ सकते हैं। लेकिन दक्षिण भारत के किसी राज्य में यह सुनने को मिलेगा कि अंग्रेजी की किताब का शीर्षक हिंदी में है तो सवाल खड़े होंगे।
भारत सरकार की एजेंसी एनसीईआरटी, जो सीबीएसई पाठ्यक्रम के लिए किताबें तैयार करती है उसने केरल की किताबों के साथ ऐसा ही किया है। उसने अंग्रेजी की किताबों के शीर्षक हिंदी में दिए हैं। हिंदी के शब्द रोमन में लिखे गए हैं। इस पर विवाद मचा हुआ है।
केरल में हिंदी बनाम मलयाली भाषा विवाद
तमिलनाडु के बाद केरल दक्षिण भारत का दूसरा राज्य है, जहां भाषा का विवाद शुरू हो गया है। वहां भी हिंदी बनाम मलयाली भाषा का मुद्दा उठ खड़ा हुआ है। गौरतलब है कि केरल में भी अगले साल तमिलनाडु के साथ ही विधानसभा चुनाव हैं। उससे पहले भाषा विवाद शुरू होने के पीछे राजनीति भी देखी जा रही है।
हालांकि इससे भाजपा को क्या फायदा होगा यह कोई नहीं बता पा रहा है। बहरहाल, खबर है कि केरल में छठी और सातवीं क्लास के लिए अंग्रेजी की किताब का नाम पहले ‘हनीसिकल’ था, जिसे बदल कर ‘पूर्वी’ कर दिया गया है। इसी तरह पहली और दूसरी क्लास की अंग्रेजी किताब का नाम ‘मृदंग’ है और तीसरी व चौथी क्लास की अंग्रेजी किताब का नाम ‘संतूर’ है।
पहले मैथ्स की किताबों का नाम हिंदी माध्यम वालों के लिए ‘गणित’, अंग्रेजी माध्यम वालों के लिए ‘मैथ्स’ और उर्दू माध्यम वालों के लिए ‘रियाजी’ था। लेकिन अब सबके लिए ‘मैथ्स मेला’ और ‘गणित प्रकाश’ कर दिया गया। अंग्रेजी माध्यम की आर्ट्स की किताब का नाम ‘कला’ और फिजिकल फिटनेस की किताब का नाम ‘खेल योग’ और ‘खेल यात्रा’ है। वोकेशनल स्टडीज की अंग्रेजी माध्यम किताब का नाम ‘कौशल बोध’ है।
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