एक देश, एक चुनाव पर विचार के लिए बनी पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कमेटी में शामिल किए गए अधीर रंजन चौधरी ने इस्तीफा दे दिया था और अब उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है। सो, अगर जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद को विपक्ष नहीं माना जाए तो कमेटी बिना विपक्ष के हो गई है। पूर्व राष्ट्रपति इस कमेटी के अध्यक्ष हैं और केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल इसके विशेष सदस्य हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी के गुलाम नबी आजाद के अलावा कानूनविद् हरीश साल्वे, लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप आदि इसके सदस्य हैं।
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी को इसका सदस्य बनाया गया था ताकि इतने अहम मसले पर होने वाले विचार विमर्श में विपक्ष का प्रतिनिधित्व भी रहे। लेकिन अब उनका इस्तीफा मंजूर हो गया है तो सवाल है कि सरकार किसी अन्य विपक्षी नेता को इसका सदस्य बनाएगी या इसे ऐसे ही रहने दिया जाएगा? ध्यान रहे विपक्ष की सभी पार्टियों ने अपना गठबंधन बनाया है और अगर नीतिगत मुद्दा उठा कर कांग्रेस ने अपने सदस्य को कमेटी से अलग किया है तो दूसरी कोई विपक्षी पार्टी अपने किसी सदस्य को कमेटी में नहीं भेजेगी। तभी एक संभावना यह है कि भाजपा अपने प्रति सद्भाव रखने वाली पार्टियों जैसे बीजू जनता दल, वाईएसआर कांग्रेस, अन्ना डीएमके आदि के किसी नेता को कमेटी में लाने का प्रयास करे।