मिजो नेशनल फ्रंट छोटी पार्टी है लेकिन ऐसी ही छोटी पार्टियों को जुटा कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 जुलाई को दिल्ली में एनडीए की बैठक की थी। ऐसी ही छोटी पार्टियों की मदद से भाजपा ने 38 सहयोगियों की गिनती पूरी की थी और कहा था कि बेंगलुरू में हुई विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की बैठक में शामिल 27 पार्टियों के मुकाबले एनडीए में ज्यादा पार्टियां जुटीं। लेकिन तब से दो पार्टियों ने आधिकारिक रूप से एनडीए छोड़ने की घोषणा कर दी है। पहली पार्टी तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी अन्ना डीएमके है, जिसने भाजपा से तालमेल खत्म करने की घोषणा करते हुए कहा कि वह अगले चुनाव के बाद इस पर विचार करेगी। दूसरी पार्टी मिजो नेशनल फ्रंट है।
मिजो नेशनल फ्रंट मिजोरम की सत्तारूढ़ पार्टी है और इस बार के चुनाव में भी उसके सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरने की संभावना है। उसके नेता और मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथंगा ने न सिर्फ भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन से अलग होने का ऐलान किया, बल्कि यह भी कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा नहीं करेंगे। अभी पता नहीं है कि प्रधानमंत्री मोदी प्रचार के लिए मिजोरम जा रहे हैं या नहीं लेकिन अगर वे जाते हैं तो मुख्यमंत्री उनसे दूरी रखेंगे। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि अभी भाजपा के साथ संबंध रखने का सही समय नहीं है। ऐसा माना जा रहा है कि मणिपुर की घटना की वजह से उन्होंने यह रवैया अख्तियार किया है। इसका असर पूर्वोत्तर के दूसरे राज्यों पर भी हो सकता है। उधर आंध्र प्रदेश में भाजपा की एक और सहयोगी जन सेना पार्टी के नेता पवन कल्याण भाजपा से अलग टीडीपी के साथ चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। पवन कल्याण ने टीडीपी नेता नारा लोकेश के साथ एक रणनीतिक बैठक की है।