Friday

25-04-2025 Vol 19

सीट बंटवारा सबसे बड़ा सिरदर्द

कांग्रेस कार्य समिति की हैदराबाद में हुई बैठक से एक बार फिर यह जाहिर हुआ है कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के अंदर सीट बंटवारा सबसे बड़ी समस्या है। दो दिन की कार्य समिति में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने इस पर विचार किया। हर राज्य की प्रदेश ईकाई के नेताओं की अपनी अपनी समस्या थी। एक बड़ी पार्टी के रूप में कांग्रेस सिद्धांत रूप से तालमेल करके लड़ने को राजी है। लेकिन तालमेल तो राज्यों के स्तर पर ही होगा और उसके लिए प्रदेश नेताओं की राय जरूरी है। प्रदेश के नेताओं ने कार्य समिति में खुल कर अपनी राय रखी और कहा कि भाजपा को हराने की जरूरत के नाम पर प्रादेशिक पार्टियां कांग्रेस को ब्लैकमेल कर सकती हैं और राज्यों में उसका हिस्सा घटा सकती हैं।

बताया जा रहा है कि कांग्रेस के नेता जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला की ओर से दिए गए सीट बंटवारे के फॉर्मूले से भी सहमत नहीं हैं। उमर ने 13 सितंबर को नई दिल्ली में शरद पवार के घर पर हुई ‘इंडिया’ की समन्वय समिति की पहली बैठक में एक फॉर्मूला पेश किया था। उन्होंने कहा था कि पिछले चुनाव में जो पार्टी जिन सीटों पर जीती है उस पर विचार करने की जरुरत नहीं है। जो पार्टी जिस सीट से जीती है वह वहां लड़े और बाकी सीटों के बंटवारे पर विचार हो। यह आइडिया कई पार्टियों को पसंद नहीं आया लेकिन सबसे ज्यादा परेशान कांग्रेस है।

असल में कांग्रेस पिछली बार सिर्फ 52 सीटों पर जीती है। उससे पहले यानी 2014 में वह सिर्फ 44 सीटों पर जीती थी। अगर उमर अब्दुल्ला का फॉर्मूला लागू हुआ तो कांग्रेस की सिर्फ 52 सीटें अपने आप उसके खाते में आएंगी और बाकी सीटों के लिए उसे सहयोगी पार्टियों के साथ हिसाब किताब बैठाना होगा। कांग्रेस कई राज्यों में एक भी सीट जीतने में कामयाब नहीं हुई है। उन राज्यों में सभी सीटें विचार के दायरे में आएंगी और उन पर दूसरी पार्टियां भी दावा कर सकती हैं। इस फॉर्मूले के मुताबिक महाराष्ट्र में शिव सेना के उद्धव ठाकरे गुट का दावा अपने आप 18 सीटों पर हो जाएगा, जबकि कांग्रेस का दावा सिर्फ एक सीट पर होगा। सो, कांग्रेस ने इस फॉर्मूले को खारिज कर दिया है।

कांग्रेस के अलावा समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस आदि को भी इस पर आपत्ति है। ममता बनर्जी पिछली बार पश्चिम बंगाल की 42 में से सिर्फ 18 सीट पर जीती थीं लेकिन वे 24 सीटें तीन पार्टियों के बीच बंटवारे के लिए नहीं छोड़ सकती हैं। बहुत दबाव हुआ तो वे दो-चार सीट छोड़ेंगी। इसी तरह समाजवादी पार्टी ने सिर्फ पांच सीट जीती थी, जिसमें से दो सीट वह उपचुनाव में गंवा चुकी है। सो, इस समय उसके पास सिर्फ तीन सीट है लेकिन वह राज्य की 70 सीटों पर लड़ना चाहती है। बिहार में राजद के पास एक भी सीट नहीं है लेकिन वहां सभी सीटों पर डिस्कशन नहीं हो सकता है। इसलिए माना जा रहा है कि विपक्षी गठबंधन के नेताओं को नया फॉर्मूला बनाना होगा।

NI Political Desk

Get insights from the Nayaindia Political Desk, offering in-depth analysis, updates, and breaking news on Indian politics. From government policies to election coverage, we keep you informed on key political developments shaping the nation.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *