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28-02-2025 Vol 19

कमजोर सहयोगी, कांग्रेस को फायदा!

विपक्षी पार्टियों के गठबंधन ‘इंडिया’ की कोशिश देश का चुनाव एनडीए बनाम ‘इंडिया’ बनाने का है लेकिन ‘इंडिया’ के अंदर भी एक टकराव है, जो कांग्रेस बनाम अन्य का है। ज्यादात प्रादेशिक पार्टियां, जो कभी कांग्रेस के साथ रही हैं या अब भी हैं वे ज्यादा सीट के लिए दबाव बना रही हैं। उनका कहना है कि उनके असर वाले राज्यों में कांग्रेस कमजोर है इसलिए वह कम सीट लड़े और मजबूत प्रादेशिक पार्टी के लिए ज्यादा सीट छोड़े। बिहार से लेकर उत्तर प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र आदि अनेक राज्यों में यह स्थिति है। दूसरी ओर कांग्रेस के नेता कुछ प्रादेशिक पार्टियों में हुई टूट या उनके नेताओं के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई में अपने लिए मौका देख रहे हैं। उनको लग रहा है कि सहयोगी पार्टियां कमजोर होंगी तो कांग्रेस को ज्यादा सीट मिलेगी।

इसका सबसे क्लासिकल उदाहरण महाराष्ट्र है, जहां कांग्रेस राज्य की 48 लोकसभा सीटों में से 20 सीट पर अड़ी है। ध्यान रहे महाराष्ट्र में कांग्रेस की दोनों सहयोगी पार्टियां टूट गई हैं। शरद पवार की पार्टी एनसीपी का बड़ा हिस्सा अजित पवार के साथ चला गया है और भाजपा व शिव सेना की सरकार में शामिल हो गया है। उससे पहले शिव सेना के ज्यादातर नेता भाजपा के साथ चले गए थे और भाजपा ने शिव सेना से अलग हुए एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बना दिया था। महाराष्ट्र विधानसभा में अब स्थिति यह है कि एनसीपी के सिर्फ 13 विधायक बचे हैं और शिव सेना उद्धव ठाकरे गुट के 14 विधायक हैं। सबसे कमजोर मानी जा रही और चुनाव के बाद चौथे नंबर की पार्टी रही कांग्रेस अब मुख्य विपक्षी है। उसके 44 विधायक उसके साथ हैं। सो, भले उसका सिर्फ एक सांसद जीता था लेकिन वह 20 सीट मांग रही है। उसके फॉर्मूले के हिसाब से शरद पवार और उद्धव ठाकरे को 14-14 सीटों पर लड़ना चाहिए। इसमें कुछ ऊपर नीचे होगा लेकिन कांग्रेस ज्यादा सीट लड़ेगी।

इसी तरह कांग्रेस के नेता अलग अलग राज्यों में प्रादेशिक पार्टियों के नेताओं पर हो रही केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई में भी अपने लिए मौका देख रहे हैं। बिहार में लालू प्रसाद का परिवार केंद्रीय एजेंसियों के निशाने पर है और इसी तरह झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पूरा परिवार भी निशाने पर है। इन दोनों राज्यों में अगर कार्रवाई तेज होती है और बड़े नेता गिरफ्तार होते हैं तो कांग्रेस न सिर्फ बेहतर मोलभाव की संभावना देख रही है, बल्कि उसको यह भी लग रहा है कि इससे नतीजों पर भी बड़ा असर पड़ेगा। कार्रवाई तमिलनाडु में भी हो रही है लेकिन वहां ज्यादा सीट की गुंजाइश नहीं है क्योंकि पहले से कई पार्टियां गठबंधन का हिस्सा हैं। पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को लग रहा है कि अगर अगले कुछ दिन में ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी पर कार्रवाई होती है और वे गिरफ्तार होते हैं तो ममता गठबंधन में ज्यादा रूचि दिखाएंगी। हालांकि दूसरी ओर यह आशंका भी है कि अगर कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं पर कार्रवाई होगी तो कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

NI Political Desk

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