अगले लोकसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी का मुख्य फोकस विपक्षी पार्टियों के शासन वाले राज्यों पर है। इसमें भी चार राज्य ऐसे हैं, जिनको लेकर भाजपा चिंतित है और उन चार राज्यों पर ज्यादा ध्यान दे रही है। ये चार राज्य हैं- बिहार, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और महाराष्ट्र। महाराष्ट्र में भाजपा दो सहयोगी पार्टियों के साथ सरकार में है लेकिन वहां विपक्षी पार्टियों का गठबंधन बहुत मजबूत है और उत्तर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों वाला राज्य है। राज्य की 48 में से भाजपा की अपनी सीटें 23 हैं। पिछली बार उसकी सहयोगी शिव सेना ने 18 सीटें जीती थीं। शिव सेना टूट चुकी है और एनसीपी का टूट हुआ धड़ा भी भाजपा के साथ है। इसलिए भाजपा यह सुनिश्चित करना चाहती है कि दोनों गठबंधन सहयोगियों को 18 सीटें मिलें। इसके लिए सीट बंटवारे की चर्चा शुरू भी हो गई है। देवेंद्र फड़नवीस ने इस बारे में जानकारी दी थी।
बहरहाल, विपक्षी शासन वाले राज्यों में पश्चिम बंगाल सबसे ज्यादा फोकस वाला राज्य है। वहां लोकसभा की 42 सीटें हैं, जिनमें से भाजपा ने पिछली बार 18 सीटें जीती थीं। इस बार हिंदू मतदाताओं के ध्रुवीकरण से भाजपा यह संख्या बढ़ाने की उम्मीद कर रही है। तभी तेलंगाना का प्रचार खत्म होते ही केंद्रीय गृह मंत्री बुधवार को पश्चिम बंगाल के दौरे पर पहुंचे। उनके दौरे से भाजपा ने चुनाव अभियान का आगाज कर दिया। इससे पहले पांच राज्यों के चुनाव के बीच अमित शाह बिहार के दौरे पर गए थे और अब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा बिहार जाने वाले हैं। यह कांग्रेस और भाजपा की सोच को भी दिखाता है। भाजपा के नेता पांच राज्यों के चुनाव नतीजों से पहले ही राज्यों में दौरे करने लगे, जबकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी का विदेश दौरा प्लान हुआ है। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान नौ दिसंबर को वे पूर्वी एशियाई देशों के दौरे पर जाने वाले हैं।