इस बार का लोकसभा चुनाव कई बातों के लिए याद रखा जाएगा, जिसमें एक बात यह है कि संभवतः पहली बार किसी पार्टी के घोषणापत्र का इतने विस्तार से विश्लेषण हो रहा है। ऐसा लग रहा है कि भाजपा के नेता माइक्रोस्कोप लेकर कांग्रेस का घोषणापत्र, जिसे उसने न्याय पत्र नाम दिया है उसे पढ़ रहे हैं। यह भी लग रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम अलग पढ़ रही है और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की टीम अलग पढ़ रही है। सभी नेता कांग्रेस के घोषणापत्र से कोई न कोई बात निकाल कर उस पर हमला कर रहे हैं। कांग्रेस के नेताओं को भी बार बार अपना घोषणापत्र निकाल कर देखना पड़ रहा है कि कहीं सचमुच वह बात तो नहीं लिखी गई है, जो भाजपा के नेता कह रहे हैं! घोषणापत्र चेक करके कांग्रेस नेताओं को बार बार कहना पड़ रहा है कि इसमें ऐसा कुछ नहीं लिखा हुआ है। बेचारे प्रवक्ताओं को अब घोषणापत्र लगभग याद हो गया है।
घोषणापत्र का ताज विश्लेषण रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया और कहा कि कांग्रेस सत्ता में आने पर सेना में मुसलमानों को आरक्षण देने पर विचार कर रही है। घोषणापत्र में ऐसा कहीं लिखा नहीं है लेकिन राजनाथ सिंह की टीम ने उनको बताया होगा कि जाति गणना करा कर कांग्रेस पार्टी सभी समुदायों को सभी सेवाओं में आबादी के अनुपात में नौकरी देगी तो इसमें सेना को भी शामिल किया जा सकता है। सो, उन्होंने यह विश्लेषण कर दिया। इससे पहले अमित शाह ने कहा था कि कांग्रेस की नजर देश के मंदिरों और मठों पर है। उसने घोषणापत्र में लिखा है कि वह इनकी संपत्ति लेकर बांट देगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो कहा ही था कि कांग्रेस की नजर स्त्री धन पर है और वह महिलाओं का मंगलसूत्र भी नहीं छोड़ने वाली है। उन्होंने कांग्रेस के घोषणापत्र के हवाले यह बात कही। इसी बहाने उन्होंने 18 साल पहले दिए गए मनमोहन सिंह के एक बयान की याद दिलाई और कहा कि कांग्रेस मानती है कि देश की संपत्ति पर पहला हक मुसलमानों का है। अब स्थिति यह हो गई है कि कांग्रेस का कोई भी नेता कहीं बयान दे रहा है तो उसे भाजपा घोषणापत्र से जोड़ दे रही है।