भारतीय जनता पार्टी बिहार और झारखंड में कुछ जातियों को बंधुआ समझती थी। यह माना जाता था कि कुछ भी हो जाए इनका वोट तो भाजपा को ही जाएगा। लेकिन इस बार चुनाव में यह मिथक टूटा है। भाजपा के कोर वोट आधार की जातियों ने पाला बदला है या बहुत मान मनौव्वल के बाद भाजपा की ओर लौटे हैं। यह बात बिहार और झारखंड की ज्यादातर सीटों पर देखने को मिला। इन दोनों राज्यों में तीन सवर्ण जातियों ब्राह्मण, भूमिहार और कायस्थ को भाजपा का कोर वोट माना जाता है। इसी तरह वैश्य और कोईरी, कुर्मी भी बिहार में पूरी तरह से भाजपा और जदयू के साथ माने जाते हैं। लेकिन इस बार इन सभी जातियों ने तेवर दिखाए, जिसकी वजह से हर सीट पर मुकाबला फंसा हुआ है।
दोनों राज्यों की किसी न किसी सीट पर भाजपा को अपने कट्टर समर्थकों की मान मनौव्वल करनी पड़ी है। बिहार में महाराजगंज, वैशाली और जहानाबाद में भूमिहारों को मनाने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा तो बक्सर, पश्चिमी चंपारण और वाल्मिकीनगर सीट पर ब्राह्मणों के पैर पकड़ने पड़े। इसी तरह आरा, झंझारपुर और शिवहर में वैश्यों को मनाने में पूरी भाजपा लगी रही। यहां तक कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को शिवहर जाकर कहना पड़ा कि वे बनिया के बेटे हैं। औरंगाबाद, नवादा, काराकाट, पूर्वी चंपारण सहित कम से कम आठ सीटों पर कुशवाहा मतदाताओं को मनाने के लिए भाजपा और खास कर सम्राट चौधरी को भागदौड़ करनी पड़ी। काराकाट में तो राजपूत को भी मनाना पड़ रहा है। ऐसे ही झारखंड में हर सीट पर राजपूत तेवर दिखा रहे हैं तो धनबाद, कोडरमा, रांची और हजारीबाग में अपने सवर्ण समर्थकों की मान मनौव्वल करनी पड़ी है।