Thursday

24-04-2025 Vol 19

डूटा नाम रख लिया फिर भी डूटा का चुनाव हार गए

विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के नेताओं के लिए यह बहुत अच्छा सबक है। पिछले दिनों दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन यानी डूटा के चुनाव हुए। इस चुनाव में ‘इंडिया’ की पार्टियों से जुड़े शिक्षक संघों ने आपस में तालमेल किया। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, लेफ्ट आदि सभी से जुड़े शिक्षक संघों ने एक गठबंधन बनाया, जिसका नाम रख लिया डेमोक्रेटिक यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन यानी डूटा। डूटा का चुनाव लड़ने के लिए विपक्षी गठबंधन ने अपना नाम डूटा रख लिया फिर भी चुनाव हार गए। सोचें, डूटा नाम रखते हुए विपक्षी गठबंधन के नेताओं ने क्या सोचा होगा? क्या उनको नहीं लगा होगा कि कमाल का मास्टरस्ट्रोक है यह, सीधे डूटा ही नाम रख लेते हैं तो वोट देने वाले प्रोफेसर लोग डूटा समझ कर हमको ही वोट देंगे?

ध्यान रहे राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ समर्थिक नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट यानी एनडीटीएफ के उम्मीदवार एके भागी ने 11 शिक्षक संघों के साझा उम्मीदवार आदित्य मिश्रा को 395 वोट से हरा दिया। दिल्ली यूनिवर्सिटी के साढ़े नौ हजार से कुछ ज्यादा शिक्षकों में से ज्यादातर ने चुनाव में हिस्सा लिया था। आरएसएस समर्थित उम्मीदवार को 4,182 और विपक्षी गठबंधन यानी डूटा के उम्मीदवार आदित्य मिश्र को 3,787 वोट मिले। सोचिए होशियारी दिखाते हुए डूटा नाम रख लिए पर डूटा का चुनाव हार गए। विपक्षी गठबंधन की पार्टियों को इससे सबक लेना चाहिए। ‘इंडिया’ नाम रख लेने भर से इंडिया का चुनाव जीत जाने की गारंटी नहीं हो जाती है। बहरहाल, डूसू और डूटा दोनों के चुनावों में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के छात्र संगठन और शिक्षक संघ का जीतना भी विपक्षी पार्टियों के गठबंधन के लिए एक संकेत है।

NI Political Desk

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