एक तरफ जहां नीतीश कुमार के एनडीए में जाने से सीट बंटवार उलझ गया है वहीं नीतीश के निकलने से विपक्षी गठबंधन में सीट का बंटवारा आसान हो गया है। पहले नीतीश कुमार अड़े थे कि वे 17 से कम सीटों पर नहीं लड़ेंगे तो दूसरी ओर लालू प्रसाद की पार्टी भी उससे कम सीट पर लड़ने को तैयार नहीं थी। इस तरह कांग्रेस और तीन लेफ्ट पार्टियों के लिए सिर्फ छह सीटें बच रही थीं। कांग्रेस के नेता वैसे तो नौ सीटों की मांग कर रहे थे लेकिन वास्तव में वे पांच से छह सीटों पर लड़ने की तैयारी कर रहे थे। वामपंथी पार्टियां भी 10 सीट मांग रही थीं लेकिन उनकी भी तैयारी चार सीटों की थी। सो, अब राष्ट्रीय जनता दल की ओर से कांग्रेस और तीनों वामपंथी पार्टियों को ज्यादा सीटें दी जा सकती हैं।
गौरतलब है कि कांग्रेस पिछली बार राजद के साथ नौ सीटों पर लड़ी थी और राष्ट्रीय जनता दल 19 सीटों पर लड़ी थी। इस बार संभव है कि राजद 25 सीटों पर लड़े और बची हुई 15 सीटें बाकी सहयोगी पार्टियों में बंटे। यह भी संभव है कि अपने लिए जगह तलाश रहे विकासशील इंसान पार्टी के नेता मुकेश सहनी फिर से इस गठबंधन में शामिल हो जाएं। पिछली बार वे भी राजद के साथ लड़े थे और उनको चार सीटें मिली थीं। एनडीए में ज्यादा पार्टियों के होने की वजह से उनको उधर एक से ज्यादा सीट मिलने की संभावना नहीं है। तभी राजद और कांग्रेस के नेता उनको भी अपने गठबंधन में जोड़ रहे हैं। नई स्थितियों में सीपीआई एमएल को दो और सीपीआई व सीपीएम को एक-एक सीट मिल सकती है।