विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस को सबसे ज्यादा दिक्कत आम आदमी पार्टी के साथ है। एक तरफ आप के नेता शपथ लेकर तालमेल की बात कर रहे हैं और दूसरी ओर पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल लगातार चुनावी राज्यों में दौरे कर रहे हैं और अपनी पार्टी को चुनाव लड़ाने की तैयारी में जुटे हैं। हैदराबाद में हुई कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में पार्टी के नेताओं ने इस पर विचार किया। पार्टी के एक जानकार नेता का कहना है कि केजरीवाल की पार्टी अगर राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव लड़ती है तो शायद किसी भी राज्य में पार्टी को एक फीसदी भी वोट नही मिलेगा। यह बात केजरीवाल भी जान रहे हैं फिर भी वे चुनाव प्रचार में लगे हैं तो इसका मकसद कांग्रेस पर दबाव बनाना है। अगर कांग्रेस उनके दबाव में आकर इन राज्यों में सीट छोड़ती है तो वह कांग्रेस के लिए घातक हो सकता है।
बताया जा रहा है कि हैदराबाद में कांग्रेस कार्य समिति के कम से कम तीन सदस्यों ने आम आदमी पार्टी को लेकर चिंता जताई। उनकी चिंता यह थी कि केजरीवाल अभी चुनावी राज्यों का दौरा करके सिर्फ इन राज्यों में सीट के लिए दबाव नहीं बना रहे हैं, बल्कि वे अपने असर वाले दोनों राज्यों पंजाब और दिल्ली में ज्यादा सीट के लिए दबाव बना रहे हैं। इसके अलावा गुजरात में भी वे कांग्रेस के बराबर सीट की मांग कर रहे हैं। दिल्ली और पंजाब के नेताओं ने केजरीवाल की पार्टी के साथ तालमेल का खुल कर विरोध किया। बताया जा रहा है कि पार्टी के सीनियर नेता भी उनके सरोकारों को तवज्जो दे रहे हैं। हालांकि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे आप के साथ तालमेल के पक्ष में बताए जा रहे हैं। दिल्ली के नेताओं के साथ कुछ समय पहले राहुल और खड़गे ने बैठक की थी तब भी दिल्ली के नेताओं की चिंता जाहिर हुई थी। पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष राजा अमरिंदर सिंह वडिंग और प्रताप सिंह बाजवा से लेकर दिल्ली के अजय माकन, संदीप दीक्षित आदि सारे नेता तालमेल के खिलाफ हैं।