election commission : मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने मंगलवार, 19 मार्च को एक अहम बैठक बुलाई है। इसमें मुख्य चुनाव आयुक्त और दोनों चुनाव आयुक्तों के अलावा केंद्रीय गृह सचिव, केंद्रीय विधि सचिव और आधार कार्ड का काम संभालने वाली एजेंसी यूआईडीएआई के प्रमुख भी शामिल होंगे।
बताया जा रहा है कि चुनाव आयोग इन तमाम अधिकारियों के साथ इस मसले पर विचार करेगा कि कैसे मतदाता पहचान पत्र को आधार कार्ड से जोड़ने की योजना को आगे बढ़ाया जाए। कुछ साल पहले चुनाव आयोग ने इसकी शुरुआत की थी और 60 करोड़ से ज्यादा मतदाता पहचान पत्र आधार कार्ड से जोड़े भी जा चुके हैं। (election commission)
तकनीकी रूप से सरकार और चुनाव आयोग का यह फैसला वोटर आईडी को आधार से जोड़ना अनिवार्य करने वाला है लेकिन प्रचार ऐसे किया गया है, जैसे यह वैकल्पिक हो। अब कहा जा रहा है कि इसकी अनिवार्यता को हर हाल में लागू करने का फैसला किया जाएगा।
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आपदा को अवसर बनाने का फैसला (election commission)
असल में चुनाव आयोग ने आपदा को अवसर बनाने का फैसला किया है। अगर विपक्षी पार्टियां इस पर सवाल उठाएंगी तो आयोग की ओर से कहा जाएगा कि उन्हीं की शिकायत पर यह कदम उठाया जा रहा है। गौरतलब है कि तृणमूल कांग्रेस, बीजू जनता दल, कांग्रेस पार्टी पार्टियों ने मतदाता सूची में गड़बड़ी का आरोप लगाया है।
तृणमूल कांग्रेस की शिकायत सबसे स्पेशिफिक है, जिसने डुप्लीकेट मतदाता पहचान पत्र का मामला उठाया है। चुनाव आयोग ने तीन महीने में इसका समाधान करने का ऐलान किया है।
ऐसा लग रहा है कि डुप्लीकेट मतदाता पहचान पत्र की समस्या दूर करने के लिए चुनाव आयोग ने मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने का रास्ता निकाला है। (election commission)
चुनाव आयोग की ओर से कहा जाएगा कि डुप्लीकेट मतदाता पहचान पत्र या मतदाता सूची में फर्जी मतदाताओं के नाम जोड़ने की शिकायतों को तभी दूर किया जा सकता है, जब उनको आधार से जोड़ा जाए।
अब सोचें, मतदाता पहचान पत्र का नंबर अपने आप में एक यूनिक नंबर है। अब उस यूनिक नंबर को आधार के दूसरे यूनिक नंबर से जोड़ा जाएगा। बाद में हो सकता है कि इन दोनों को पैन के यूनिक नंबर के साथ जोड़ा जाए।
दुनिया में कोई और देश नहीं होगा, जहां इतने यूनिक नंबर हों। सभ्य देशों में एक ही नंबर से सामाजिक सुरक्षा मिल जाती हैं, जबकि भारत में तीन यूनिक नंबर से भी कोई सुरक्षा नहीं मिलती है। (election commission)