Wednesday

23-04-2025 Vol 19

आयोग को उपचुनाव की क्या हड़बड़ी थी?

लोकसभा चुनाव और चार राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के एक हफ्ते के भीतर चुनाव आयोग ने सात राज्यों की 13 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की घोषणा कर दी। सात राज्यों में 10 जुलाई को उपचुनाव होंगे, जिनके लिए नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 21 जून है। सवाल है कि चुनाव आयोग को इतनी हड़बड़ी क्यों थी कि लोकसभा के नतीजे आते ही उसने उपचुनाव की घोषणा कर दी? आयोग को पता है कि देश के अनेक राज्यों में विधानसभा के सदस्यों ने लोकसभा का चुनाव लड़ा है और उनमें से बड़ी संख्या में ऐसे विधायक हैं, जो सांसद बन गए हैं। वे अपनी एक सीट से इस्तीफा देंगे और वहां भी उपचुनाव कराना होगा। यह भी तय है कि अगर कोई विधायक लोकसभा का चुनाव जीत जाता है तो उसे 14 दिन के अंदर किसी एक सीट से इस्तीफा देना होगा। सो, चुनाव आयोग को ज्यादा नहीं सिर्फ 14 दिन इंतजार करना था। उसके बाद वह एक साथ सारी सीटों पर उपचुनाव की घोषणा कर सकता था।

लेकिन आयोग ने दो हफ्ते इंतजार नहीं किया। ऐसा भी नहीं है कि जिन सीटों पर उपचुनाव घोषित हुए हैं उनके नतीजों से राज्य की राजनीति पर कोई बड़ा असर होना है या ये सीटें लंबे समय से खाली हैं। उत्तराखंड की मंगलोर सीट पिछले साल अक्टूबर से खाली है। सवाल है कि लोकसभा के साथ चुनाव आयोग ने वहां उपचुनाव क्यों नहीं करा लिया? बाकी 12 सीटें लोकसभा चुनाव से पहले विधायकों के पाला बदलने से खाली हुई हैं। हिमाचल प्रदेश की दो निर्दलीय विधायकों का इस्तीफा तो लोकसभा चुनाव के नतीजों से एक दो पहले ही स्वीकार किया गया। सोचें, क्या चुनाव आयोग को पता नहीं है कि अकेले पश्चिम बंगाल में छह विधायक लोकसभा का चुनाव जीते हैं? भाजपा के एक और तृणमूल कांग्रेस के पांच विधायक इस बार सांसद हो गए हैं। वहां छह सीटें खाली होने वाली हैं लेकिन उससे पहले ही चुनाव आयोग ने राज्य की चार सीटों पर उपचुनाव की घोषणा कर दी। इसे लेकर तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखी है और उपचुनाव रोकने को कहा है। पार्टी ने कहा है कि एक साथ 10 सीटों के उपचुनाव कराए जाएं। बार बार चुनाव कराना ठीक नहीं है। इसी तरह झारखंड में भी चार विधायक इस बार लोकसभा चुनाव जीत कर सांसद हो गए हैं। हालांकि वहां अब उपचुनाव नहीं होगा क्योंकि दिसंबर में राज्य में विधानसभा के चुनाव होने हैं। लेकिन पंजाब, बिहार आदि में उपचुनाव कराने होंगे।

NI Political Desk

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