तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को लग रहा है कि परिसीमन और त्रिभाषा फॉर्मूले का रूप में उनको चुनाव जीतने का महामंत्र मिल गया है। इसलिए उन्होंने इन दोनों मुद्दों पर पूरा ध्यान केंद्रित किया है। एक तरफ प्रदेश में उनके नेता इस मुद्दे को किसी न किसी तरह उठा रहे हैं तो दूसरी ओर दिल्ली में संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में उनकी पार्टी के सांसद रोज इस पर प्रदर्शन कर रहे हैं। विपक्षी पार्टियों का साथ भी उनको मिल रहा है। अब खबर है कि स्टालिन की पार्टी के नेता सात राज्यों के दौरे पर जाएंगे। इन सात राज्यों के मुख्यमंत्रियों और पूर्व मुख्यमंत्रियों को स्टालिन ने चिट्ठी लिखी है। स्टालिन ने इन सभी को 22 मार्च को चेन्नई बुलाया है परिसीमन और नई शिक्षा नीति व त्रिभाषा फॉर्मूले पर विचार के लिए। विपक्ष के ज्यादातर नेता इस मसले पर स्टालिन से सहमत हैं।
कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने संसद सत्र के दौरान पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में स्टालिन के एजेंडे से सहमति जताई और यह भी कहा कि उनके नेता 22 मार्च की बैठक में शामिल होंगे। फिर भी डीएमके ने अपने नेताओं को राज्यों के दौरे पर भेजने का फैसला किया है। माना जा रहा है कि इसी बहाने मुद्दे को हाईलाइट करने और मीडिया में बनाए रखने का प्रयास किया जा रहा है। डीएमके की ओर से नेताओं को केरल, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, पुड्डुचेरी, पश्चिम बंगाल और ओडिशा भेजा जाएगा। ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने इस बैठक में अपना प्रतिनिधि भेजने की हामी भर दी है। मुख्यमंत्री भाजपा के हैं इसलिए उनके जाने का सवाल ही नहीं है। बाकी राज्यों में जाकर निजी तौर पर डीएमके नेता मुख्यमंत्रियों से मिलेंगे और उनको इन मुद्दों की गंभीरता के बारे में बताएंगे।