CM rekha gupta : दिल्ली की मुख्यमंत्री के लिए रेखा गुप्ता का नाम तय हुए तो कहा जाने लगा कि राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ ने उनका नाम प्रस्तावित किया, जिसे भारतीय जनता पार्टी ने स्वीकार कर लिया।
सवाल है कि क्या सचमुच संघ ने रेखा गुप्ता का नाम प्रस्तावित किया? कई जानकार इस पर संदेह जता रहे हैं। उनका कहना है कि आरएसएस की सहमति हो सकती है लेकिन भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रेखा गुप्ता का नाम तय किया।
प्रधानमंत्री ने आगे की राजनीति को और अखिल भारतीय मैसेजिंग की संभावना को ध्यान में रख कर उनका नाम तय किया है। गौरतलब है कि अगले साल परिसीमन की बात हो रही है और उसके बाद महिला आरक्षण लागू होगा। (CM rekha gupta)
संसद से नारी शक्ति वंदन कानून पास किया गया है, जिसके तहत 2029 के लोकसभा चुनाव में 33 फीसदी सीटों पर महिलाओं को आरक्षण मिलेगा। उससे पहले भाजपा महिलाओं को महत्व देने वाली पार्टी का नैरेटिव बनाना चाहती है।
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दिल्ली में महिला मुख्यमंत्री का आइडिया ठीक (CM rekha gupta)
गौरतलब है कि अभी देश के 20 राज्यों में भाजपा या उसकी सहयोगी पार्टियों की सरकार है लेकिन उनमें से कोई भी महिला नहीं है। तभी दिल्ली का चुनाव जीतने के बाद से ही इस बात की चर्चा हो रही थी कि महिला मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।
दूसरी बात यह है कि शीला दीक्षित का प्रयोग काफी सफल रहा था। वे लगातार तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं थीं। (CM rekha gupta)
उस लिहाज से भी दिल्ली में महिला मुख्यमंत्री बनाने का आइडिया ठीक था। जानकार सूत्रों का कहना है कि इन दिनों आरएसएस के अंदर हर छोटी बड़ी घटना का श्रेय लेने का चलन शुरू हो गया है।
भाजपा कहीं हार जाए तो तुरंत प्रचार होने लगता है कि संघ ने काम नहीं किया इसलिए भाजपा हार गई। लोकसभा चुनाव और बाद में झारखंड विधानसभा चुनाव में इसका प्रचार हुआ।
लेकिन जब हरियाणा और महाराष्ट्र में भाजपा जीती तो कहा गया कि आरएसएस ने मेहनत करके चुनाव जिताया है। भाजपा को भी इससे दिक्कत नहीं होती है। (CM rekha gupta)
इसलिए उसने भी दिल्ली में यह प्रचार होने दिया कि संघ ने महिला मुख्यमंत्री बनवाया। इससे महिलाओं के प्रति संघ के पारंपरिक नजरिए से बदलने का संदेश भी जाएगा।