कांग्रेस पार्टी ने दिल्ली में विधानसभा का चुनाव अकेले लड़ा था। उसे छह फीसदी से कुछ ज्यादा वोट मिले थे और कांग्रेस के वोट में दो फीसदी से कुछ ज्यादा की बढ़ोतरी को आम आदमी पार्टी की हार का मुख्य कारण माना गया था। उस समय कहा गया था कि अब कांग्रेस स्वतंत्र राजनीति करेगी और एक बार आम आदमी पार्टी को गद्दी से उतारने के बाद वह उसकी जगह ले लेगी। यानी कांग्रेस अपना खोया हुआ वोट आधार वापस हासिल कर लेगी। लेकिन चुनाव नतीजे आए हुए दो महीने से ज्यादा हो गए हैं और कांग्रेस पार्टी कहीं भी सक्रिय नहीं दिख रही है। पिछले दो महीने में कांग्रेस पार्टी का कोई कार्यक्रम नहीं हुआ है और न कहीं कांग्रेस नेता राजनीति करते दिख रहे हैं। दिल्ली में आम लोगों ने भाजपा सरकार के खिलाफ सवाल उठाना शुरू कर दिया है लेकिन किसी भी मसले पर कांग्रेस आगे नहीं आ रही है।
कांग्रेस ने देवेंद्र यादव को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है और दिल्ली की अलका लांबा महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। लेकिन देवेंद्र यादव पता नहीं क्या कर रहे हैं, जबकि अलका लांबा देश के दूसरे हिस्सों में राजनीति कर रही हैं। वे देश भर का दौरा कर रही है। पिछले दिनों सोनिया और राहुल गांधी को प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने धन शोधन के मामले में आरोपी बनाया तो कांग्रेस ने देश भर के ईडी कार्यालय पर प्रदर्शन का फैसला किया। लेकिन दिल्ली में भी प्रदेश कांग्रेस सौ लोगों को इकट्ठा नहीं कर पाई। दिल्ली में बिजली कटौती से लेकर पानी के कनेक्शन काटने के नोटिस जारी करने का मामला हो या स्कूलों की फीस बढ़ोतरी का मामला हो, कांग्रेस कहीं भी सड़क पर उतर कर आम लोगों के साथ राजनीति करती नहीं दिख रही है। इससे उलट आम आदमी पार्टी की ओर से लगातार राजनीतिक कार्यक्रम चल रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री व विधानसभा में नेता विपक्ष आतिशी और नए प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने पार्टी को लगातार सक्रिय रखा है। ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस नेता यह सोच रहे हैं कि अभी चुनाव में बहुत समय है इसलिए अभी से मेहनत करने की जरुरत नहीं है। दूसरी ओर भाजपा और आप पंजाब को ध्यान में रख कर दिल्ली की राजनीति कर रहे हैं।