election commission: विपक्षी पार्टियां चुनाव आयोग पर हमला करती रहती हैं। सबसे तीखा हमला आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल कर रहे हैं और हर बार जब चुनाव आयोग पर हमला होता है तो बचाव में सरकार और भाजपा के नेता आते हैं।
लेकिन ऐसा नहीं लग रहा है कि भाजपा और केंद्र सरकार भी चुनाव आयोग की प्रतिष्ठा की कोई ज्यादा परवाह कर रही है।
गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने बहुत साफ निर्देश दिया था कि आम बजट दिल्ली चुनाव के बीच आ रहा है, जब आचार संहिता लगी होगी इसलिए सरकार को दिल्ली से जुड़ी कोई विशेष घोषणा नहीं करनी है।
यानी टारगेटेड अनाउंसमेंट नहीं करनी है। तकनीकी रूप से केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दिल्ली का नाम लेकर कोई घोषणा नहीं की लेकिन सबको पता है कि मध्य वर्ग को राहत देने और आयकर से छूट का बड़ा लाभ दिल्ली में रहने वालों को मिलेगा।(election commission)
also read: समाधान भी तो बताइए!
8वें वेतन आयोग के गठन की मंजूरी(election commission)
फिर भी तकनीकी रूप से सरकार सही थी परंतु बजट के दो दिन बाद सोमवार, तीन फरवरी को भाजपा ने अखबारों में विज्ञापन छपवा कर चुनाव आयोग को दिखाया कि उसे भी आयोग के निर्देशों या आचार संहिता की कोई परवाह नहीं है।
भाजपा ने दिल्ली में विधानसभा चुनाव के प्रचार के आखिरी दिन सोमवार को दिल्ली के अखबारों में विज्ञापन दिया, जिसमें बताया कि मोदी सरकार ने दिल्ली के मध्य वर्ग को आयकर से बहुत बड़ी राहत दी है।
इसी तरह गिग वर्कर्स के लिए भी की गई घोषणा को दिल्ली के लिए अहम बताते हुए भाजपा ने वोट मांगा।(election commission)
इससे पहले सबने देखा था कि चुनाव की घोषणा के बाद केंद्र सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के लिए आठवें वेतन आयोग के गठन की मंजूरी दी और इसकी घोषणा से पहले चुनाव आयोग को इसकी जानकारी देने की भी जरुरत नहीं समझी। यह घोषणा भी दिल्ली के चुनाव में बहुत असर डालने वाली है।